छिंदवाड़ा। लोकसभा चुनाव के बाद छिंदवाड़ा में एक बार फिर चुनावी घमासान होने जा रहा है। जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव (MP Assembly By Election 2024) के लिए शुक्रवार 14 जून से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जहां एक और लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद उपचुनाव को लेकर बीजेपी के हौसले बुलंद हैं तो वहीं कांग्रेस और खासकर कमलनाथ के लिए यह चुनाव (MP Assembly By Election 2024) ‘साख का सवाल’ बन गया है।

बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी से आए पूर्व विधायक कमलेश प्रताप सिंह को इनाम देते हुए एक बार फिर इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। इस तरह उम्मीदवार चयन के मामले में बीजेपी सत्ताधारी बीजेपी ने कांग्रेस को मात दे दी है।

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प्रदेश में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा हो लेकिन तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में पार्टी ने सभी सात सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन, लोकसभा चुनाव से ऐन पहले अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। उनके इस्तीफा देने से यह सीट खाली हो गई थी जिस पर अब उपचुनाव हो रहा है।

अभ्यार्थी के नामांकन पत्र जमा करने की शुरूआत 14 जून से हो चुकी है अंतिम तारीख 21 जून है। 24 जून को नामांकन की जांच होगी और 26 जून तक अभ्यर्थी अपना नाम वापस ले सकते हैं। इसके बाद वोटिंग 10 जुलाई और रिजल्ट 13 जुलाई को आएगा।

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कांग्रेस इस चुनाव को किसी भी स्थिति में गंवाना नहीं चाहती क्योंकि एक तो लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा है, वहीं लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी छिंदवाड़ा की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। यही वजह है कि पार्टी ने इस सीट से प्रत्याशी के चयन से पहले दो पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे और सुनील जायसवाल को प्रभारी बनाया है, ताकि चुनाव के लिए एक अच्छी रणनीति तैयार की जा सके।

कांग्रेस ने अमरवाड़ा सीट पर प्रत्याशी चयन के लिए पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे और सुनील जायसवाल को प्रभारी बनाया है। बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले छिंदवाड़ा में हुई सियासी उठापटक सुर्खियों में था। कांग्रेस विधायक से लेकर कमलनाथ के करीबी और कई कांग्रेस कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो गए थे। यही कारण था कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मजबूत किला माने जाने वाले छिंदवाड़ा में बीजेपी ने बड़ी सेंधमारी करते हुए कमल खिला दिया था। यहां से बीजेपी के बंटी साहू ने कमलनाथ के बेटे और पूर्व सांसद नकुलनाथ को करारी शिकस्त दी थी।