भोपाल। देश के किसानों के लिए केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। जिसके तहत गैर बासमती चावल के निर्यात पर से बैन हटा दिया गया है। सरकार के इस निर्णय से मध्यप्रदेश के किसान भी लाभांतवित होंगे। बीते 10 सालों में 12,706 करोड़ रुपये का चावल निर्यात हुआ है। जिसमें सबसे ज्यादा (3634 करोड़ रुपये) इसी साल हुआ है। (Madhya Pradesh News)
बता दें कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय की 28 सितंबर को जारी अधिसूचना के मुताबिक गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित किया गया है। (Madhya Pradesh News)
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केंद्र सरकार के इस फैसले का लाभ एमपी के चावल उत्पादक प्रमुख जिले जबलपुर, मंडला, बालाघाट और सिवनी के किसानों को होगा। ये सभी जिले अपने हाई क्वालिटी वाले जैविक और सुगंधित चावल के लिए प्रसिद्ध हैं। ये अपनी उच्च गुणवत्ता वाले जैविक और सुगंधित चावल के लिए प्रसिद्ध हैं। मंडला और डिंडोरी के सुगंधित और बालाघाट के चिन्नौर चावल को तो जीआई टैग प्राप्त है। इस पहचान के चलते यहां के चावल को इंटरनेशनल मार्केट में लोकप्रियता मिली है।
मध्यप्रदेश में पैदा होने वाले चावल के प्रमुख निर्यात बाजारों में चीन, अमेरिका, यूएई और यूरोप के कई देश शामिल हैं। इस फैसले से न केवल चावल की खेली करने वाले किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी बल्कि जनजातीय क्षेत्रों (डिंडौरी और मंडला) के चावल को वैश्विक पहचान मिलेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्र के इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में कृषि निर्यात में सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक अहम फैसला है। इससे देश और मध्यप्रदेश के किसानों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी खास पहचान बनाने में मदद मिलेगी।