दिल दिया है जां भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए….ये वो गीत है जिसे हम अक्सर गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में ज़रूर सुनते हैं। ये गीत सिर्फ राष्ट्रीय पर्व पर ही नहीं, उसके इतर भी कभी सुना जाए तो भी इस गीत को लोग बहुत पसंद करते हैं। ऐसे ही लगभग 20 हजार गीतों को अपनी आवाज़ देने वाले सिंगर मोहम्मद अज़ीज़ (Mohammed Aziz) का आज जन्मदिन है। उनके जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ ख़ास पहलुओं पर बात करेंगे।
कोलकाता में हुआ था जन्म
दिग्गज गायक मोहम्मद अज़ीज़ (Mohammed Aziz) का जन्म 2 जुलाई 1954 में कोलकाता के गुमा में हुआ था। उनका पूरा नाम सईद मोहम्मद अज़ीज़ उल नबी था। बचपन से ही गानों में रुचि रखने वाले मोहम्मद अज़ीज़ मोहम्मद रफी के बहुत बड़े प्रशंसक थे। जब भी मोहम्मद रफी का कोई भी गाना रेडियो पर बजता था तो वो उन्हें बड़े ही ध्यान से सुनते और गुनगुनाते थे। संगीत की दुनिया में मोहम्मद अज़ीज़ को लोग मोहम्मद रफी के उत्तराधिकारी के रूप में भी जानते हैं। जिस तरह से मोहम्मद रफी ने अपनी पूरी जिंदगी संगीत को समर्पित कर दी थी ठीक उसी तरह से मोहम्मद अज़ीज़ ने भी संगीत को अपना सब कुछ समर्पित कर दिया।
मोहम्मद अज़ीज़ ऐसे बने मुन्ना
संगीत की दुनिया में अपनी आवाज़ से कई सितारों के करियर को ऊंचाई देने वाले मोहम्मद अज़ीज़ (Mohammed Aziz) को लोग प्यार से मुन्ना बुलाते थे। बता दें कि, जब भी मोहम्मद अज़ीज़ रेडियो पर मोहम्मद रफी का गाना सुना करते थे, तो वो उसमें इतने लीन हो जाते थे जैसे मोरफी रेडियो के विज्ञापन का मुन्ना दिखता था। इसी वजह से उनके परिवार में सब प्यार से उन्हें मुन्ना बुलाने लगे। आज भी जब उनका नाम लिया जाता है तो उन्हें प्यार से मुन्ना ही कहा जाता है। उनके गानों के जितने भी क्रेडिट दिए गए हैं उन सब में उनका नाम मोहम्मद अज़ीज़ की जगह मुन्ना ही लिखा मिलता है।
करियर की शुरुआत
जैसा कि हमनें आपको बताया कि मोहम्मद अज़ीज़ (Mohammed Aziz) शुरुआत से ही मोहम्मद रफी को अपना गुरु मानते थे। इसलिए कोलकाता के रेस्टोरेंट ग़ालिब में वो मोहम्मद रफी के गाने सुनाया करते थे। दर्शक उनके गानों को सुनने के बाद सिर्फ तालियां ही नहीं बजाते थे, बल्कि उन्हें गाना पसंद आने पर अच्छी बख्शीश भी दिया करते थे। कहा जाता है कि मोहम्मद अज़ीज़ की रोज़ी-रोटी मोहम्मद रफी के गानों से करीब दो दशकों तक चलती रही। खास बात ये थी कि उस दौर के तमाम बड़े फिल्म निर्माता भी उस रेस्टोरेंट में खाना खाने आते थे। मोहम्मद अज़ीज़ के सिंगिंग करियर की शुरुआत भी इसी रेस्टोरेंट से हुई थी, जहां एक बंगाली निर्माता को उनकी आवाज़ इतनी ज्यादा पसंद आई कि उन्होंने अज़ीज़ को अपनी फिल्म में गाना गाने का मौका दे दिया।
बंगाली फिल्म ‘ज्योति’ में गाया पहला गाना
हमेशा से संगीत में दिलचस्पी रखने वाले मोहम्मद अज़ीज़ ने कोलकाता में ही संगीत गायन की शिक्षा ली। 1984 में बंगाली फिल्म ‘ज्योति’ से उन्हें फिल्मों में गाने का पहला मौका मिला। उनके गाने को काफी पसंद किया गया। बचपन में कोई भी समारोह होता था तो मोहम्मद अज़ीज़ उसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। अपने पहले गाने की सफलता के बाद मोहम्मद अज़ीज़ ने कभी पीछे पलटकर नहीं देखा और वो अपने गुरु की तरह संगीत की दुनिया में नाम कमाने के लिए मुंबई चले आए।
‘मर्द तांगे वाला’ ने चमकाई किस्मत
अपनी पहली बंगाली फिल्म ज्योति में गाने के बाद उन्हें 1985 में ही हिंदी फिल्म ‘अम्बर’ में गाना गाने का मौका मिला। जब मोहम्मद अज़ीज़ मुंबई आए तो उनकी मुलाकात अनु मलिक से हुई। अनु मलिक भी उन दिनों हिंदी सिनेमा में अपने कदम जमाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। लेकिन जल्द ही उन्हें एक बड़ा मौका मिला। 1985 में अनु मलिक ने मोहम्मद अज़ीज़ को अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘मर्द’ में एक गाना गाने का प्रस्ताव दिया, जिसे मोहम्मद अज़ीज़ ने स्वीकार कर लिया। फिल्म मर्द में उन्होंने ‘मर्द तांगेवाला’ गाना गाया, जोकि बहुत बड़ा हिट हुआ। इस गाने के बाद मोहम्मद अज़ीज़ का नाम पूरे फिल्म जगत में मशहूर हो गया। इसके बाद उन्होंने गोविंदा, ऋषि कपूर, सनी देओल, और अनिल कपूर जैसे कई अभिनेताओं को अपनी आवाज़ दी और लता मंगेशकर, आशा भोंसले और अनुराधा पौडवाल जैसी कई बेहतरीन गायिकाओं के साथ युगल गीत भी गाए।
बेहतरीन गायक, नहीं मिला एक भी पुरस्कार
मोहम्मद अज़ीज़ ने अपने पूरे फिल्मी करियर में लगभग 20 हजार गाने गाए। जिसमें हिंदी, बांग्ला और उड़िया भाषा के गाने शामिल हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा के अपने करियर में हर बड़े कलाकार के साथ काम किया। मोहम्मद अज़ीज़ के ‘आप के आ जा ने से, इमली का बूटा बेरी का पेड़, ‘दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए’, मेरे दो अनमोल रतन, माई नेम इज़ लखन और तुझे रब ने बनाया होगा जैसे कई गाने आज भी गुनगुनाए जाते हैं। उन्होंने कई सूफी गाने भी गाए। मोहम्मद अज़ीज़ 80 और 90 के दशक के सबसे बेहतरीन गायक माने जाते थे। लेकिन आपको ये जानकर बहुत हैरानी होगी कि फिल्म जगत के अपने लंबे सफर में उन्हें एक भी पुरस्कार से नहीं नवाज़ा गया।
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64 साल की उम्र में निधन
27 नवम्बर 2018 को 64 साल की उम्र में इस बेहतरीन सिंगर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके जाने से पूरा बॉलीवुड शोक में डूब गया था। अमिताभ बच्चन से लेकर अनु मलिक तक सभी ने उनके जाने पर अपनी भावनाएं व्यक्त की थीं। आज भले ही ये महान गायक हमारे बीच मौजूद न हों लेकिन उनके गाने हमेशा उन्हें अमर रखेंगे।