भोपाल। प्रदेश के संविदा कर्मचारियों का ग्रेड पे बढ़ सकता है। इसके दायरे में वो कर्मचारी आएंगे, जिनका वेतन विधानसभा चुनाव के समय समकक्षता निर्धारण में कम हो गया था। तत्कालीन शिवराज सरकार ने डेढ़ लाख से अधिक संविदा कर्मचारियों को साधने के लिए उनका ग्रेड पे नियमित कर्मचारियों के बराबर करने की घोषणा की थी।इसके लिए वित्त विभाग की अनुमति से समकक्षता का निर्धारण किया गया, जिसको लेकर कर्मचारियों ने आपत्ति उठाई पर कोई सुनवाई नहीं हुई।(Grade Pay)

कम हो गया वेतनमान, कोर्ट गए

इसमें कुछ संवर्ग के कर्मचारियों का वेतनमान कम हो गया, जिसको लेकर वो कोर्ट चले गए। अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास के साथ अन्य विभागों ने कर्मचारियों से पुराने और नए वेतन के अंतर को लेकर जानकारी मांगी है। जिसके लिए पूरा मामला कर्मचारी आयोग को अनुशंसा करने के लिए सौंपा जा सकता है।(Grade Pay)

तत्कालीन शिवराज सरकार ने बनाई थी नीति

बता दें कि, शिवराज सरकार ने संविदा कर्मचारियों के लिए नीति बनाई थी। इसमें यह प्रावधान किया था कि समकक्ष पद का 90 फीसदी दिया जाएगा, जिसे बाद में सौ फीसदी कर दिया। इसके साथ ही 50 फीसदी पद भी आरक्षित कर दिए गए लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हुआ।(Grade Pay)

विचार-विमर्श के बाद समिति ने किया निर्धारण

चुनाव के समय संविदा कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए समकक्षता निर्धारण की प्रक्रिया शुरू की गई और समिति ने विचार-विमर्श के बाद ग्रेड पे का निर्धारण कर दिया। इसमें डाटा एंट्री ऑपरेटर का ग्रेड पे 2400 से घटाकर 1900 कर दिया गया। इसी तरह सहायक ग्रेड एक और दो, कार्यालय सहायक, सहायक ग्रंथपाल समेत अन्य पद का ग्रेड पे भी 1900 रुपए हो गया।(Grade Pay)

डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने दायर की याचिका

मनरेगा योजना के डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। पारित आदेश के आधार पर समकक्षता मैट्रिक्स लेवल 4 कर दी पर उन्होंने इसे बढ़ाकर मैट्रिक्स लेवल 6 करने का अभ्यावेदन दिया, जिसे अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मलय श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन मनीष रस्तोगी और सचिव वित्त अजीत कुमार की समिति ने अस्वीकार कर दिया।(Grade Pay)

एक मामले में कोर्ट ने अधिकारियों के खिलाफ जारी किया वारंट

इसके पीछे तर्क दिया गया कि अन्य विभागों में डाटा एंट्री ऑपरेटर या अन्य समकक्ष पदों के लिए मैट्रिक्स लेवल चार निर्धारित है। इसमें यदि वृद्धि की जाती है तो उन्हें नियमित पदों पर नियुक्ति में अवसर मिलने में कठिनाई होगी। इसी तरह के मामले अन्य पदों से जुड़े भी हैं। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े मामले में तो हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने अधिकारियों के खिलाफ वारंट ही जारी कर दिया है।(Grade Pay)

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नए सिरे से हो सकता है निर्धारण

सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि समकक्षता निर्धारण से जुड़े प्रकरणों को कर्मचारी आयोग को भेजा जा सकता है। जहां सभी पक्षों को सुनने के बाद शासन को समकक्षता निर्धारण को लेकर अनुशंसा की जाएगी। संभावना जताई जा रही है कि कुछ पदों की समकक्षता का निर्धारण नए सिरे से हो सकता है।