रायपुर। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में हुए शराब घोटाले को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव और सांसद विजय बघेल ने कांग्रेस को एक बार फिर से घेरा है। कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में प्रेसवार्ता कर इसकी जानकारी भी दी है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने कहा कि भूपेश सरकार के कार्यकाल में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है।(Kiran Singh Deo)

‘जांच होने पर किया गया हंगामा’

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भूपेश सरकार के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया। कांग्रेस सरकार में संगठित होकर शराब घोटाला किया गया। जब ED-EOW ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की तो काफी हंगामा मचाया गया। अनवर ढेबर और अनिल टूटेजा ने सिंडीकेट बनाकर शराब नीति बदली और घोटाला किया।(Kiran Singh Deo)

‘अवैध कमाई के लिए बदली गई शराब नीति’

किरण सिंहदेव ने कहा कि इसके अलावा अवैध कमाई के लिए शराब नीति भी बदली गई और 2161 करोड़ का घोटाला किया गया। उस वक्त विपक्ष ने जो आरोप लगाए थे हाईकोर्ट के फैसले में वो आज सच साबित हुए हैं। शराब घोटाले को लेकर की गई EOW और ACB की अब तक की कार्रवाई में किसी प्रकार का कोई उल्लंघन नहीं पाया गया। इस जांच के खिलाफ लगाई याचिका को भी खारिज कर दिया गया है। कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास नहीं करती इसलिए उन पर सवाल उठाती है।(Kiran Singh Deo)

‘HC के फैसले ने खोली तत्कालीन सरकार की कलई’

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि शराब घोटाले पर पिछले दिनों आए उच्च न्यायालय बिलासपुर के एक महत्वपूर्ण फैसले ने कांग्रेस की तत्कालीन सरकार द्वारा किए घोटाले की कलई एक बार और खोल दी है। इस फ़ैसले से बीजेपी द्वारा इन अपराधियों के विरुद्ध लगाए गए सभी आरोपों की एक बार फिर से पुष्टि हुई है।(Kiran Singh Deo)

‘जांच एजेंसियों के खिलाफ लगाई गईं थीं याचिकाएं’

बता दें कि, बिलासपुर उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में छह याचिकाएं ईडी के खिलाफ जबकि सात याचिकाएं ईओडब्ल्यू और एसीबी के खिलाफ दायर की गई थीं। याचिकाओं में दो हजार करोड़ रुपए के शराब घोटाला मामले में ईडी की दोबारा की जा रही कार्रवाई और ईओडब्ल्यू-एसीबी की ओर से दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए उन्हें ख़ारिज करने की मांग की गई थी।(Kiran Singh Deo)

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‘सभी 13 याचिकाओं को कोर्ट ने एक साथ किया खारिज’

उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, यश टुटेजा, अरूणपति समेत अन्य आरोपियों द्वारा जांच एजेंसियों के खिलाफ दायर कुल 13 याचिकाओं को एक साथ ख़ारिज कर दिया है। अपने आदेश में माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि एक संगठित अपराध की तरह इस घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था ऐसा लग रहा है। न्यायालय ने ईडी, एसीबी, ईओडब्ल्यू की जांच आदि के काम में किसी भी तरह की अनियमितता के तमाम आरोपों को ख़ारिज कर दिया है।