रायपुर। पूरे देश में आज से छठमहापर्व त्योहार की शुरूआत हो गई है। चार दिन तक चलने वाली छठ पूजा के लिए छत्तीसगढ़ के कई जिलों में छठ घाट बनाए गए हैं। वहीं, बिलासपुर में एशिया के सबसे बड़ा छठ घाट बनाया गया है जो कि करीब 7-8 एकड़ फैला हुआ है। इस विशाल घाट पर लोगों की सुविधा के लिए प्रशासन ने पुलिस चौकी, लाइटिंग, पार्किंग स्थल, सामुदायिक भवन और गार्डन बनाए हैं। (Chhattisgarh Chhath festival 2024)
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एक साथ पूजा कर सकेंगे 51 हजार श्रद्धालु
जिले के तोरवा में स्थित यह घाट एशिया का सबसे स्थायी और व्यवस्थित घाट है। अरपा नदी पर बने इस घाट में करीब 50 हजार लोग एक साथ पूजा कर सकते हैं। खास बात यह है कि छठ त्योहार के उद्गम स्थल बिहार में भी इतना बड़ा घाट नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार, बिहार की राजधानी पटना में 80 के लगभग छठ घाट हैं लेकिन किसी का भी एरिया 100 से 200 मीटर ज्यादा नहीं है। (Chhattisgarh Chhath festival 2024)
बिलासपुर के अलावा दुर्ग जिले के भिलाई में छठ पूजा के लिए सूर्यकुंड बनाया गया है, जहां 51 नदियों का पानी डाला गया है। इन नदियों में गंगा, व्यास, साबरी, स्वर्ण रेखा, अरुणावती, यमुना, रामगंगा, इंद्रावती, कामली, सरस्वती और अलखनंदा नदी का जल बनाया गया है। बता दें कि छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार का त्योहार है, लेकिन कुछ समय से यह एमपी, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी इसको लेकर उत्साह देखा जा रहा है।
ऐसे होती है छठ पूजा
चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व के पहले दिन नहाए खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। नहाए खाय वाले दिन व्रत रखने वाले नदियों में स्नान करते हैं। खाने में कद्दू, चावल, चने की दाल खाई जाती है। दूसरे दिन यानी खरना में पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम भोजन किया जाता है। तीसरे और चौथे दिन अस्त होते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।