रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय महानदी भवन में कैबिनेट की बैठक (Cabinet Meeting) का आयोजन किया गया। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।

प्राधिकरणों के पुनर्गठन का निर्णय

साय कैबिनेट की बैठक में बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण और अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरणों के पुनर्गठन करने का निर्णय (Cabinet Meeting) लिया गया। पांचों प्राधिकरणों की कार्य प्रणाली को प्रभावी और सशक्त बनाने के साथ ही उन क्षेत्रों में जनसुविधा के कामों को गति प्रदान करना है। जिसकी जिम्मेदारी अब सीधे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की होगी। इसमें स्थानीय विधायकों में से एक विधायक को उपाध्यक्ष बनाया जाएगा। क्षेत्रीय विधायक इन प्राधिकरणों के सदस्य होंगे। जबकि सीएम साय के प्रमुख सचिव और सचिव इन पांचों प्राधिकरणों के सदस्य सचिव रहेंगे।

इसलिए पुनर्गठन के प्रस्ताव का हुआ अनुमोदन

बता दें कि, वर्ष 2004-05 में बस्तर, सरगुजा और अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय महानदी भवन में कैबिनेट की बैठक (Cabinet Meeting) का आयोजन किया गया। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।का गठन तत्कालीन सरकार द्वारा किया गया था। जिसके बाद वर्ष 2012 में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया। इन प्राधिकरणों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हुआ करते थे। प्राधिकरणों के गठन के बाद अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों, अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों, मजरा-टोला, पारा-मोहल्लों, वार्डों और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी जरूरतों के अनेक महत्वपूर्ण कार्य कराए गए थे। जबकि वर्ष 2019 में तत्कालीन सरकार द्वारा इन प्राधिकरणों के कार्य संचालन की प्रक्रिया में अमूल-चूल बदलाव कर दिया गया, जिसके चलते प्राधिकरणों का न सिर्फ महत्व कम हो गया, बल्कि इनके कार्यों में पारदर्शिता मॉनिटरिंग का अभाव होने के साथ ही शासन स्तर पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं रहा। इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट ने पांचों प्राधिकरणों के पुनर्गठन और निधि नियम के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।

प्राधिकरणों के लिए करोड़ों का प्रावधान

विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 23 फरवरी, 2024 को पारित अशासकीय संकल्प के तहत प्रदेश के जितने भी मैदानी क्षेत्र हैं, उन क्षेत्रों में भी जहां अनुसूचित जनजातियों की 25 फीसदी से ज्यादा बहुलता है, उन क्षेत्रों के गांवों और ब्लाकों को मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के क्षेत्रों में शामिल किया गया है। इतना ही नहीं प्राधिकरण अपना कार्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सुझाव प्राप्त कर, मतैक्य से मुख्यमंत्री के विजन के अनुरूप करेंगे। उसके बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में प्राधिकरण सामाजिक, आर्थिक और सर्वांगीण विकास पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगा। प्राधिकरण को सशक्त, पारदर्शी और प्रभावशाली बनाया जाएगा। वर्तमान में प्राधिकरण के माध्यम से होने वाले विकास कार्यों के लिए बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के लिए 50-50 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। साथ ही ग्रामीण एवं अन्य पिछडावर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण के लिए 80 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।

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इनमें भी लगी मुहर

  • कैबिनेट द्वारा उच्च शिक्षा विभाग में अतिथि व्याख्याता नीति-2024 का अनुमोदन किया गया।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत चना वितरण हेतु निर्गम मूल्य (Issue Price) पर चना क्रय करने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्र एवं मॉडा क्षेत्र में अन्त्योदय और प्राथमिकता वाले परिवारों को चना वितरण के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित निर्गम मूल्य और नागरिक आपूर्ति निगम को प्राप्त रॉ चना की मिलिंग और परिवहन दर को जोड़कर प्राप्त कुल दर पर चना खरीदा जाएगा
  • मुख्यमंत्री के स्वेच्छानुदान मद से 14 हजार 369 व्यक्तियों और संस्थाओं को 19 करोड़ 37 लाख 93 हजार रूपए की स्वीकृत राशि का कार्योत्तर अनुमोदन मंत्रिपरिषद द्वारा प्रदान किया गया।
  • कैबिनेट द्वारा विदेशी मदिरा के थोक विक्रय और भंडारण के लिए वर्तमान में प्रचलित एफएल 10 ए बी अनुज्ञप्ति की व्यवस्था को खत्म करते हुए सीधे विनिर्माता इकाईयों से विदेशी मदिरा का थोक क्रय किए जाने का अनुमोदन किया गया। बता दें कि विदेशी मदिरा का क्रय इससे पहले लाइसेंसियों द्वारा किया जाता था। सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म करने के साथ ही विदेशी मदिरा क्रय करने की जिम्मेदारी अब छत्तीसगढ़ बेवरेज कार्पोरेशन को दे दी है।