भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल (CM Dr. Mohan Yadav) के सरोजिनी नायडू कॉलेज में भारत-पाकिस्तान बंटवारे की बरसी पर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सीएम डॉ. मोहन यादव ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस दौरान उन्होंने विभाजन पर केंद्रित प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम में विभाजन की विभीषिका (CM Dr. Mohan Yadav) पर केन्द्रित लघु फिल्म तथा प्रधानमंत्री मोदी के इस विभीषिका पर सोच को दर्शाती फिल्म भी प्रदर्शित की गई। कार्यक्रम में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग, संस्कृति राज्य मंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी, महापौर मालती राय, विधायक भगवानदास सबनानी उपस्थित थे।

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कार्यक्रम  में लोगों को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि पीएम नरेन्द्र मोदी के मन में देश की विभाजन विभीषिका को लेकर जो दुख है, वह हम सब अनुभव करते हैं। देश का विभाजन 20वीं शताब्दी की सबसे अधिक दु:खद, दुर्दांत और अत्यंत त्रासदीपूर्ण दुर्घटना है। इसका विवरण करूण और कठिन है। यह वास्तविकता है कि इस त्रासदी से गुजरे कई लोग इस संबंध में बात भी नहीं करना चाहते, लेकिन यदि किसी देश को लंबी यात्रा करना है, उसे आगे बढ़ना है तो इतिहास के घावों और गलतियों से उसे सबक लेना होगा, अन्यथा देश का भविष्य खतरे में होगा।

 

इजराइल का जिक्र किया

सीएम डॉ. यादव ने इजराइल का जिक्र करते हुए कहा कि एक देश 2000 साल पहले ऐसे ही देश से भूमि से भटकने पर मजबूर हुआ, उसका नाम है इजराइल। जिसकी जमीन चली गई, जिसकी अस्मिता और राष्ट्र चला गया। उसको राष्ट्र के पुनर्निर्माण और पुनर्स्थापना के लिए 2000 साल तक संघर्ष करना पड़ा, लेकिन देशभक्ति की आग क्या होती है और देशभक्ति क्या होती है। कोई इजराइली जनता से पूछे। मैं इजराइल के लोगों को धन्यवाद देता हूं। उनकी कई पीढ़ियां 2000 साल तक इस दिन के लिए हर साल एक निश्चित समय पर विश्व में फैले हुए अलग-अलग देश में एक साथ इकट्ठे होते और एक दूसरे से गले मिलते हैं। इस दौरान वो संकल्प लेते हैं कि अगले साल हम अपने देश के अंदर मिलेंगे। दुर्भाग्य के साथ ऐसा साल आने में 2000 वर्ष लगे। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी पीढ़ियां चली गईं। हमें इस उम्मीद के भरोसे की उनका अपना देश बनेगा। हमारे आसपास वो देश भी आजाद हुआ। देश की आजादी की कीमत का उदाहरण इसलिए दिया ताकि आपको इसकी गंभीरता समझ आए।

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा, ‘इजराइल जैसे कोई और दो देश हैं इराक और ईरान। काल के प्रवाह में पर्शिया, ईरान के रूप में निकाल कर आया। बाद का इराक और ईरान के बीच 20 साल संघर्ष चला। दोनों के हालात क्या हो गए। लेकिन अपने देश के प्रत्यक्ष में यह बात दूसरे ढंग से बताता हूं। हमारी अच्छी बात यह है कि हम हर एक को गले लगाते हैं हमारी अच्छाई यह है कि हम अपने उदार भाव को सबके सामने सबके साथ साझा करने जाते हैं। साझा करने के भाव में हम भूल जाते हैं कि हमसे कौन सी गलतियां हो रही हैं। ऐसी गलतियों में कभी-कभी हमको उस उदार भावना के कारण जाने अनजाने में भ्रमित कर देते हैं। चालाक लोग अपनी चालाकियों से हमको अपने जाल में फंसा लेते हैं।’

सीएम ने कहा कि देश के विभाजन के बारे में कई लोग बात भी नहीं करना चाहते। ये बात सही है कि किसी देश को लंबी यात्रा करना है और आगे बढ़ना है तो इतिहास की गलतियों से सबक लेना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो सच मानिए, भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा।

सीएम मोहन यादव ने कहा, ‘1857 का दौर आया उस दौर में क्या हिंदू, क्या मुसलमान सबने मिलकर अंग्रेजों के षड्यंत्र को का पर्दाफाश करके एक साथ युद्ध लड़ा। असावधान समाज को भी अंग्रेजों ने जैसे चाल समझ ली कि यह सब मिलकर लड़ेंगे, तो हम आगे राज लंबा चला नहीं सकते। यह 1857 की बात है, तब से उन्होंने गांठ बांध ली कि इस देश की आबादी में फूट डालो और राज करो। हिंदू-मुसलमान को आपस में लड़ाने का षड्यंत्र खड़ा किया।’

बताई बंटवारे की वजह

‘1857 से 1906 तक दोनों समाज के बीच ज्यादा दूरियां नहीं थीं, लेकिन 1906 में अंग्रेजों के माध्यम से पहली बार मुस्लिम लीग का नया फार्मूला लेकर आए मुस्लिम मुस्लिम लीग के फार्मूले में नया आरक्षण खड़ा किया। भारत के अंदर ऐसी विधानसभाएं निकाली गई, जो मुस्लिम बहुल विधानसभाएं थी। मुस्लिम बहुलता वाली विधानसभाओं में उन्होंने अपना फार्मूला बनाया कि यहां केवल मतदान का अधिकार मुसलमान को होगा। केवल मुसलमान वोट देने जाएंगे। खड़े होने का अधिकार भी मुस्लिम को ही था। हिंदुस्तान के अंदर किसी हिंदू को वोट देने का अधिकार नहीं था।’

सीएम डॉ. मोहन यादव ने आगे कहा, ‘अरब में एक खलीफा आंदोलन हुआ उस खलीफा आंदोलन में जबरन में यहां के लोगों ने अपनी टांग फंसाते हुए उस बात को मुस्लिम धर्म से जोड़कर यहां से समर्थन वहां दिया था। जो मुस्लिम लीग की जड़ नहीं जम रही थी उसमें लियाकत अली और मोहम्मद जिन्ना यह सारे लोग उस समय कांग्रेस के बड़े नेता थे। कांग्रेस ने नादानी के आधार पर अपने देशभक्त मुसलमान का मन डबल कर दिया। जैसे ही, मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेके, तो फिर कांग्रेस के अंदर के लोग भी इस लाइन पर चल पड़े। इस पर चलकर आगे जाकर देश के बंटवारे की नींव रखी गई।’

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पीएम मोदी ने उस काल के दुख और तत्कालीन नेतृत्वकर्ताओं की गलती को समझा है। वे इनसे सबक लेते हुए देश की एकता को बनाए रखने व भविष्य में देश को प्रगति पथ पर अग्रसर करने के लिए सक्षम नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। साल 1857 के बाद भारत से अलग हुए भाग अफगानिस्तान, श्रीलंका, वर्तमान पाकिस्तान, बांग्लादेश अखंड भारत के भाग थे। वर्ष 1947 से पहले जो लोग अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में रह गए उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया गया था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसे सभी लोगों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की नागरिकता प्रदान करने के लिए कानून बनाकर प्रावधान किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें विभाजन के दंश को सदैव स्मरण रखना चाहिए। उन्होंने आहवान किया कि अपने पुरूषार्थ, योग्यता, क्षमता, बुद्धिमता से भारत को आगे बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास करें और परमात्मा से कामना करें कि भारत को दोबारा कभी भी विभाजन विभीषिका का दंश न झेलना पड़े।