भोपाल। जैन मुनि विनम्र सागर महाराज के बाद अब मोहन कैबिनेट में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के प्रयागराज में अगले साल लगने वाले महाकुंभ में गैर-हिंदू दुकानों पर रोक वाले बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक प्रतिष्ठित संत हैं, वो जो भी बोलते हैं सोच-समझ कर बोलते हैं। (Govind Singh Rajput)
बुधवार को इंदौर पहुंचे मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि धीरेंद्र के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बयान सही सोच और समझ पर आधारित है जिस वजह से इसका समर्थन किया गया है। (Govind Singh Rajput)
क्या था धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बयान?
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर और देश के प्रसिद्ध कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने महाकुंभ में गैर हिंदुओं को दुकानें नहीं देने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, ‘अब ऐसे लोग जिनको सनातन धर्म की सामग्री विक्रय करेंगे, वो लोग नाश ही करेंगे, कुछ जगह थूक कांड मिले, फलों में गंदगी फैलाई गई। हम नहीं कहते कोई भी हो सकते हैं, इसलिए महाकुंभ मेले में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित कर देना चाहिए। राम को मानते ही नहीं, तो मेरे आंगने में तुम्हारा क्या काम है।’
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उन्होंने आगे कहा था कि प्रयागराज में त्रिवेणी है, संगम है, महाकुंभ है। संतों का दर्शन है, कथा से लेना-देना है। तुम्हें (गैर हिंदू) सनातन से लेना-देना नहीं, जिन्हें सनातन संस्कृति का ज्ञान हो, हिन्दू के देवी-देवताओं के बारे में पता हो, पूजन पद्धति और पूजन की सामग्री के बारे में पता हो, वैसे लोगों को ही कार्य दिया जाए। जिन लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं, वो निश्चित रूप से नाश ही करेंगे।
जैन मुनि ने किया था समर्थन
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के महाकुंभ में गैर-हिंदू दुकानों पर रोक वाले बयान का समर्थन करते हुए जैन मुनि विनम्र सागर महाराज ने कहा था कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बिल्कुल सही कहा है। जो लोग गंगा, शिव और भगवान राम को नहीं मानते, उनका महाकुंभ में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। ऐसे आयोजन सिर्फ हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए हैं।
जैन मुनि ने कहा कि हर हिंदू को धीरेंद्र शास्त्री की इस बात का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने सरकार से अपील की है कि महाकुंभ में गैर-हिंदू दुकानों पर प्रतिबंध लगाया जाए। विनम्र सागर महाराज ने आगे कहा कि महाकुंभ हिंदू परंपरा और आस्था का प्रतीक है, इसकी पवित्रता बनाए रखना बेहद आवश्यक है।