भोपाल। राम राजा की नगरी ओरछा को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) की विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने जा रहा है। ओरछा के ऐतिहासिक समूह को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत डोजियर को यूनेस्को ने स्वीकार कर लिया है।

वर्तमान में ओरछा यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट (विश्व धरोहर स्थल) की अस्थाई सूची में शामिल है। बता दें कि इस सूची में मध्यप्रदेश के खजुराहो मंदिर, भीमबेटका और सांची के स्तूप पहले से ही शामिल हैं। (Orchha)

केंद्र सरकार ने सौंपा डोजियर

केंद्र सरकार की ओर से इसका डोजियर यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी को सौंप दिया गया है। सरकार ने 2027-28 के लिए ओरछा वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित करने के लिए अनुशंसा की है। केंद्र सरकार की तरफ से हर वर्ष देश की एक धरोहर को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सूची में नॉमिनेट कराने के लिए यूनेस्को को अनुशंसा करती है। इस साल ओरछा के नाम की अनुशंसा की गई है। पेरिस स्थित यूनेस्को के ऑफिस में भारतीय राजदूत विशाल वी शर्मा ने यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र के निदेशक लाजारे एलौंडो असोमो को डोजियर सौंपा। यूनेस्को की ओर से आधिकारिक घोषणा के बाद ओरछा देश की ऐसी एकमात्र वर्ल्ड हेरिटेज साइट होगी, जो राज्य संरक्षित है। (Orchha)

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प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रदेश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है। वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में नॉमनिनेट होने से ओरछा की वैश्विक पहचान को और मजबूती मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने और पर्यटकों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

क्यों प्रसिद्ध है ओरछा?

साल 2019 में यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल ओरछा बेतवा नदी के किनारे बसा एक ऐतिहासिक स्थल है। यहां विश्व प्रसिद्ध राम राजा मंदिर के अलावा बुंदेली स्थापत्य कला के प्रतीक चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, ओरछा किला, जहांगीर महल और शाही छतरियां मौजूद हैं।

होंगे ये फायदे

विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल होने से ओरछा को इंटरनेशनल लेवल पर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल के तौर पर मान्यता मिलेगी। जिससे यहां आने वाले विदेशी के साथ घरेलू पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और स्थानीय स्तर अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इसके अलावा स्थानीय शिल्प और हस्तकला का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा। जिससे उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।

टेंटेटिव लिस्ट में पहले से है शामिल 

यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में प्रदेश के 14 स्थल शामिल हैं। इनमें से 11 टेंटेटिव यानी स्थाई लिस्ट में शामिल हैं। इन्हीं में एक ओरछा भी है। इसके अलावा ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खूनी भंडारा, चंबल घाटी के शैल कलां स्थल, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, मंडला स्थित रामनगर के गौंड स्मारक, धमनार का ऐतिहासिक समूह, मांडू में स्मारकों का समूह, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और चंदेरी शामिल हैं।