रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रहे और पूर्व राज्यसभा सांसद गोपाल व्यास का गुरुवार को निधन हो गया। भाजपा से राज्यसभा सांसद रहते हुए भी उन्होंने राजनीतिक मर्यादा और सादगी के आदर्श प्रस्तुत किए थे। उनके निधन पर भाजपा समेत कांग्रेस के नेता अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। (Gopal Vyas passed away)

सीएम ने स्थगित किया बलौदा बाजार दौरा

गोपाल व्यास के निधन की सूचना मिलने पर सीएम विष्णुदेव साय ने अपना बलौदा बाजार दौरा स्थगित कर दिया है। जहां आज वो विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास करने वाले थे। कार्यक्रम को लेकर प्रशासन के द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई थी। (Gopal Vyas passed away)

पूर्व राज्यसभा सांसद के निधन पर बीजेपी समेत कांग्रेस व अन्य दल के नेता श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय गोपाल व्यास के पुरैना स्थित निवास पहुंचे और उनके अंतिम दर्शन कर उनके भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान सीएम ने शोक संतप्त परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया। इस दौरान राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, पूर्व राज्यपाल रमेश बैस और विधायक विक्रम उसेंडी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

छत्तीसगढ़ राज्योत्सव : उपराष्ट्रपति ने 36 हस्तियों को राज्य अलंकरण से किया सम्मानित, सीएम साय बोले – ‘अंतिम सांसे गिन रहा नक्सलवाद’

समूचा जीवन संदेश की तरह

सीएम विष्णुदेव साय ने एक्स पर लिखा, ‘हम सबके अभिभावक और पथ प्रदर्शक, मध्य क्षेत्र के पूर्व क्षेत्र प्रचारक, पूर्व सांसद गोपाल व्यास जी के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर शोकाकुल हूं। वृहद भाजपा परिवार के भी प्रेरणापूंज ‘शीरू भैया’ का निधन वास्तव में त्याग, तपस्या, कर्मठता और सादगी के एक युग का अवसान जैसा ही है।’

सीएम ने आगे लिखा, ‘व्यास जी का संपूर्ण जीवन न केवल समाजसेवा को समर्पित रहा, अपितु देहावसान के उपरांत उनका शरीर भी समाज के काम आएगा। अंतिम संस्कार के रूप में ‘देहदान’ का निर्णय वैसा ही है जैसे ऋषि दधीचि ने अपना अस्थि तक दान कर दिया था।

निष्कलंक, निष्पाप, स्वयंसेवक स्व. व्यास जी की सरलता हम राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए भी पाथेय है। उनकी सादगी ऐसी थी कि सांसद रहते हुए भी रेल आरक्षण कराने वे स्वयं टिकट काउंटर पर कतार में खड़े हो जाते थे।

भाजपा सदस्यता अभियान के तहत व्यास जी को सदस्य बनाने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा जी स्वयं उनके आवास पहुंचे थे, तब ही अंतिम बार शीरू भैया से मिलना हुआ था। उनका समूचा जीवन संदेश की तरह रहा। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर, उनके मार्ग का अनुसरण कर ही हम उनकी स्मृति को अक्षुण्ण रख सकते हैं।’