भोपाल। प्रदेश में इन दिनों राजस्व के लंबित मामलों के निराकरण का महा अभियान चल रहा है। 45 दिनों तक चलने वाले इस अभियान में जिलों के प्रदर्शन के आधार पर कमिश्नर, कलेक्टर, अपर कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदार की रिपोर्ट बनेगी। यह आगामी पदस्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएगी। जो 15 अगस्त के बाद बड़े स्तर पर होगी। इतना ही नहीं मैदानी के साथ-साथ मंत्रालय स्तर पर भी परिवर्तन की तैयारी है।(Revenue Campaign 2.0)

45 दिन की कार्ययोजना बनाने के निर्देश

बता दें कि, राजस्व से जुड़े मामले सरकार की छवि निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पहले महा अभियान में 30 लाख से ज्यादा लंबित मामलों का निराकरण किया गया था। अब विवादित नामांतरण, बंटाकन, सीमांकन, नक्शे में सुधार के काम होंगे। इसके लिए सभी अधिकारियों से कहा गया कि वो 45 दिन की कार्ययोजना बनाएं।(Revenue Campaign 2.0)

लापरवाही पर सख्त कार्रवाई

अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वो प्रतिदिन दौरे करके देखें कि जिस मंशा के साथ अभियान शुरू किया गया है, वह पूरी हो रही है या नहीं। अधिकारियों को सख्त चेतावनी भी दी गई है कि इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी। दोषी अधिकारी किसी भी स्तर का हो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।(Revenue Campaign 2.0)

राज्य स्तर से हो रही अभियान की निगरानी

मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक राजस्व महा अभियान की निगरानी राज्य स्तर से की जा रही है। जिलेवार रिपोर्ट बनेगी, जो निश्चित ही अधिकारियों की आगामी पदस्थापना का आधार भी बनेगी।(Revenue Campaign 2.0)

मंत्री और विधायक भी रखेंगे नजर

इस अभियान में सिर्फ अधिकारी ही नहीं, बल्कि उनके साथ-साथ मंत्रियों से भी कहा गया है वो जिलों में चल रहे अभियान की निगरानी करें। औचक निरीक्षण करें और कोई कमी मिले तो उसे ठीक कराने के साथ-साथ दायित्व भी निर्धारित करें। वहीं दूसरी तरफ  पार्टी स्तर से भी विधायकों से कहा गया है कि वो भी अभियान में सहभागी बनें। लंबित प्रकरणों के निराकरण पर नजर रखें।

तबादला नीति को लेकर जल्दबाजी नहीं

विधानसभा चुनाव के पहले से प्रदेश में तबादलों पर रोक लगी हुई है। इसे हटाने पर विचार भी हुआ पर सरकार तबादला नीति लाने को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। दरअसल, शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है। सबसे ज्यादा  तबादलों के प्रस्ताव शिक्षक संवर्ग के ही आते हैं। इसकी अलग तबादला नीति नहीं है।

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स्थापना बोर्ड पर कोई रोक नहीं

वहीं, पुलिस के तबादले स्थापना बोर्ड से होते हैं। उस पर कोई रोक नहीं है। अन्य संवर्गों में तबादले करने के लिए अभी विभागों को प्रस्ताव मुख्यमंत्री समन्वय में भेजने पड़ते हैं। किसी विभाग के प्रस्ताव को अभी तक रोका भी नहीं गया है। सबसे यही कहा गया है कि तबादले करते हुए प्रशासनिक व्यवस्था के साथ आवश्यकता का ध्यान रखें।