भोपाल। अक्सर देखा जाता है कि बोरवेल से पानी नहीं निकलने पर उसे खुला छोड़ दिया जाता है। जिससे खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने की कई घटनाएं सामने आ भी चुकी हैं। बोरवेल खुला छोड़ने और बच्चों के गिरने की घटनाओं को देखते हुए पहली बार मध्य प्रदेश में कड़ा कानून बनाया जा रहा है। जिसे जुलाई में होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में पेश करने की तैयारी है। New law for open borewell

इस कानून में बोरवेल खुला छोड़ने पर भूमि स्वामी पर अर्थदंड लगाने का प्रावधान होगा। जनहानि की स्थिति में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा और बोरिंग करने वाली एजेंसी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही यदि बोरवेल असफल हो तो वह उसे अनिवार्य रूप से बंद करने का नियम भी रहेगा।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने विधेयक का प्रारूप तैयार कर लिया है।

ईओडब्ल्यू की रिमांड पर सूर्यकांत तिवारी और समीर बिश्नोई

खुला बोरवेल छोड़ने वालों के लिए बनेगा कानून              

वरिष्ठ सचिव समिति की हरी झंडी मिलते ही इस कानून को कैबिनेट की अनुमति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। बता दें कि प्रदेश में असफल बोरवेल को बंद नहीं करने के कारण कई बच्चों के गिरने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

घंटों राहत कार्य चलाने के बावजूद कई प्रकरणों में बच्चों की जान भी चली गई। 2022 में तत्कालीन गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने ओरछा के नारायणपुरा में बोरवेल में चार वर्ष के दीपेंद्र के गिरने की घटना के बाद खुले बोरवेल को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने की घोषणा की थी।

इसके बाद कई घटनाएं हो गईं पर कानून नहीं बन पाया। जबकि, सुप्रीम कोर्ट  ने इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान करने के निर्देश दिए थे। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने दिशा निर्देश जारी किए पर इनका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हुआ। New law for open borewell

 

विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक पेश करने की तैयारी 

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के सचिव पी नरहरि के मुताबिक अभी दंड प्रक्रिया संहिता में जो प्रावधान हैं, उनके अनुसार कार्रवाई की जाती है। खुले बोरवेल को बंद न करने और किसी के उसमें गिरने पर कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है। इसके लिए पहली बार कानून बनाया जा रहा है। प्रयास होगा कि विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक प्रस्तुत कर दिया जाएगा।