प्रदेश के कई शहरों में बारिश का दौर जारी है। इस बारिश से जहां शहर, गांव, मोहल्ले पानी-पानी हैं तो वहीं कई जगहों पर बारिश ने विकास की पोल भी खोल दी है। शहरों, गांव गलियों और मोहल्लों की गड्ढायुक्त सड़कों में पानी भरने से लोगों का जीना मुहाल हो गया है।(Critical Condition Of Roads)

बारिश में सड़कों की हालत खस्ता

दरअसल, ग्वालियर में हल्की बारिश में ही सड़कों की हालत खस्ता हो गई है। आलम यह है कि शहर के सबसे पॉश और कमर्शियल इलाके में शुमार सिटी सेंटर में एमपीआईडीसी के रीजनल दफ्तर के सामने की सड़क खस्ता हालत में है। इतना ही नहीं लोगों को खराब सड़कों के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ये तो सिर्फ सिटी सेंटर की कहानी है शहर में ऐसी बहुत सी जगहें हैं। जहां की सड़कें हल्की बारिश में ही ही गड्ढों में तब्दील हो गई हैं।(Critical Condition Of Roads)

पैचवर्क भी नहीं कर पा रहा नगर निगम

ग्वालियर नगर निगम इन सड़कों को बनाना तो दूर इनका पैच वर्क भी नहीं कर पा रहा। हालांकि कहीं-कहीं दिखावे के लिए पैच वर्क का काम जारी है, लेकिन वो सिर्फ ग्वालियर नगर निगम दफ्तर के सामने तक ही सीमित है। नगर निगम की इस कार्यप्रणाली से लोगों में रोष व्याप्त है।(Critical Condition Of Roads)

करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद हालत जस की तस

बता दें कि,  ग्वालियर शहर स्मार्ट सिटी में शामिल है जहां कि सड़कों के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए गए। लेकिन सड़कों के नाम पर सिर्फ गड्ढे ही गड्ढे शहर में नजर आते हैं, जो विकास के दावों की हकीकत बयां कर रहे हैं।(Critical Condition Of Roads)

राजधानी की गड्ढायुक्त सड़कें भी नहीं पीछे

गड्ढायुक्त सड़कों वाली बीमारी से राजधानी भी अछूती नहीं है। यहां की सड़कों की हालत भी जर्जर बनी हुई है। नगर निगम के सारे दावे यहां भी फेल साबित हो रहे हैं। सड़कों की हालत ऐसी है कि लोगों को निकलने में भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।(Critical Condition Of Roads)

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बेमेतरा की सड़कों में घटिया सामग्री का इस्तेमाल

बिल्कुल ऐसा ही पानी-पानी और गड्ढों में तब्दील हालत बेमेतरा की सड़कों का भी है।यहां सड़कों में लगी घटिया सामग्री चीख-चीख कर भ्रष्टाचार की पोल खोल रही है। शहर के बीचों-बीच गुजरने वाली सड़क टुकड़ों में तब्दील में हो चुकी है। हर साल बारिश के मौसम में सड़कों की हालत खस्ता हो जाती है औऱ जिम्मेदार हर साल सड़क की मरम्मत के नाम पर लाखों के बंदरबांट करके शांत बैठ जाते हैं।