लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी और कांग्रेस के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी समाजवादी पार्टी ने सियासी दिग्गजों को सकते में ला दिया। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने न सिर्फ अपने इतिहास में सबसे बड़ी जीत दर्ज की, बल्कि अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) के कुशल नेतृत्व में यूपी में बीजेपी के रथ को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज उसी नेता का जन्मदिन है, जिसके कुशल नेतृत्व में सपा ने यूपी के रण में बीजेपी के रथ के पहिये को थमने पर मजबूर कर दिया। नाम है…. अखिलेश यादव….।

सैफई में जन्म और विदेश में पढ़ाई

अखिलेश का जन्म 1 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के उटावा जिले के एक छोटे से गांव सैफई में हुआ था।पिता मुलायम सिंह यादव और मां मालती यादव के घर में जन्मे अखिलेश (Akhilesh yadav) बचपन से ही शर्मीले स्वभाव के थे। उनकी शुरुआती शिक्षा इटावा के सेंट मैरी स्कूल से हुई। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने राजस्थान के धौलपुर के मिलिट्री स्कूल में दाखिला लिया। वहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद अखिलेश ने मैसूर के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के बाद अखिलेश ने ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी से एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की।

अखिलेश के चुनाव में उतरे सियासी दिग्गज

साल 2000…ये वो समय था जब पिता मुलायम सिंह यादव ने संभल की सीट को बरकरार रखने के लिए कन्नौज को छोड़कर बेटे अखिलेश (Akhilesh yadav) को चुनावी मैदान में उतारा। कभी कॉलेज में छात्रसंघ का चुनाव भी न लड़ने वाले अखिलेश को लोकसभा प्रत्याशी बना दिया गया। जिसके बाद अखिलेश के प्रचार में सपा के दिग्गज आजम खान और अमर सिंह मैदान में उतरे। खुद अखिलेश बताते हैं कि जब आजम खान उनको कन्नौज में लेकर आए, तो उन्होंने एक जनसभा में कन्नौज वासियों से कहा था कि मैं टीपू को आपके बीच लेकर आया हूं। अब इस टीपू को सुल्तान बनाने की जिम्मेदारी आप लोगों की है।

बसपा के अकबर अहमद को हराया

लोकसभा उपचुनाव में अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) ने बहुजन समाज पार्टी के दिग्गज नेता अकबर अहमद डम्पी को 58,000 से अधिक वोटों से हराया। बस यहीं से अखिलेश के सियासी सफर को रफ्तार मिल गई और वो संसद में पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने 2004 और 2009 के आम चुनाव में भी जीत दर्ज कर कन्नौज का गढ़ बरकरार रखा।

विभिन्न समितियों के सदस्य बने

साल 2002 अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) को विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन समिति का सदस्य नियुक्त किया गया। जबकि इस से पहले वो दो साल के लिए आचार संबंधी समिति के सदस्य के रूप में कार्यरत थे। वहीं 2004 में वो दूसरे कार्यकाल के लिए 14वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए, और शहरी विकास, सांसदों के लिए कंप्यूटर प्रावधान, दलों के कार्यालय, लोकसभा सचिवालय के अधिकारी जैसी समिति के सदस्य बनाए गए।

साइकिल यात्रा रही सफल

साल 2010 में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को साइकिल की हैंडिल थमाई। जिसके बाद साइकिल पर सवार युवा अखिलेश यूपी की सड़कों पर निकल गए। पूरे प्रदेश को अगले दो सालों में छान मारा। अखिलेश की साइकिल यात्रा इतनी प्रभावी हुई कि पहली बार समाजवादी पार्टी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब हो गई।

सबसे युवा मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव

2012 के चुनाव में चेहरा भले ही मुलायम थे, लेकिन उचित अवसर को देखते हुए उन्होंने बेटे के हाथ में प्रदेश की कमान सौंप दी। उनके फैसले के साथ आजम खान सरीखे नेता खड़े दिखे। हालांकि परिवार का विरोध सामने आया। शिवपाल नाराज हुए। सपा में खेमेबाजी शुरू हुई। लेकिन, मुलायम का फैसला अटल था। 38 साल के अखिलेश ने जिम्मेदारी संभाली। पहले प्रदेश और फिर पार्टी की। 2017 में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से वो इस पद पर बने हुए हैं।

अखिलेश के नेतृत्व में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी सपा

हाल के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर अखिलेश की समाजवादी पार्टी ने सबको चौंका दिया। दरअसल, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में लगातार दो चुनाव की हार और नेताजी की गैरमौजूदगी के चलते सियासी दल सपा को कमजोर समझ बैठे थे। बस उनकी यही गलती अखिलेश की ताकत बनी। इसी कमजोरी की पीछे अखिलेश अपनी पार्टी को मजबूती देते रहे और कांग्रेस के साथ रणनीति बनाते रहे। एक-एक लोकसभा क्षेत्र में तमाम सियासी गणित लगाकर प्रत्याशी उतारे और जब रिजल्ट आया तो सभी सियासी दल भौंचक्के रह गए। सपा ने प्रदेश में 37 सीटें जीतीं जो कि सपा के इतिहास की सबसे बड़ी जीत साबित हुई।

2024 लोकसभा चुनाव में एमपी में पैर जमाने की कोशिश

लोकसभा  चुनाव में इंडी गठबंधन में शामिल अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश में भी पैर जमाने की कोशिश की। गठबंधन के तहत उनको खजुराहो लोकसभा सीट भी मिल गई। हालांकि चुनाव में सपा प्रत्याशी का नामांकन खारिज हो गया था। जिसके बाद नेताओं में काफी जुबानी जंग भी हुई।

बीजेपी के कमल को खिलने से रोका

लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी ने मध्य प्रदेश में भले ही क्लीन स्वीप कर दिया हो, लेकिन  उत्तर प्रदेश में अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के कमल को खिलने से रोक दिया। लोग ये कहते थे कि अखिलेश में नेताजी मुलायम सिंह का अक्स नजर आता है, अब वही लोग ये भी कहते नजर आ रहे हैं कि उन्हें नेताजी वाले धोबी पछाड़ के दांव भी बखूबी आते हैं।