भोपाल। राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में मंगलवार को बरकत उल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह (Barkatullah University Convocation) का आयोजन हुआ। जिसका शुभारंभ राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने किया।
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कार्यक्रम (Barkatullah University Convocation) को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि बरकत उल्ला विश्वविद्यालय पात्र छात्र-छात्राओ को निशुल्क उपाधि प्रदान करेगा। यादव ने कहा कि विद्यालय के बाद विश्वविद्यालय और इसके बाद नए जीवन की ओर प्रवेश शुरू होता है। इसके लिए वे सभी को बधाई देते हैं। समारोह में सीएम ने छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किए। उन्होंने राज्यपाल मंगू भाई पटेल के साथ विश्वविद्यालय के अलग-अलग विभागों और संकायों में स्नातक, स्नातकोत्तर तथा अन्य उच्चतर एकेडमिक स्तरों पर सबसे ज्यादा मार्क्स पाने वाले स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल प्रदान किए।
LIVE : कुशाभाऊ ठाकरे सभागार, भोपाल में आयोजित बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह-2024 https://t.co/DwN1emSWkd
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) September 10, 2024
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महामहिम राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल जी की गरिमामय अध्यक्षता में आज आयोजित भोपाल के प्रतिष्ठित बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह-2024 का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम में सहभागिता की। इस अवसर… pic.twitter.com/AI7qrUdcxE
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इस दौरान सीएम डॉ. यादव ने यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को ऑनलाइन डिजिटल मार्कशीट और डिग्री प्रदान करने की व्यवस्था का शुभारंभ भी किया। इस मौके पर यूनिवर्सिटी के छात्र तनु गुलाटी को डिग्री और अनुपमा कुजूर को PHD की उपाधि डिजिटल स्वरूप में दी गई। बता दें कि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स को डिजिटल डिग्री और मार्कशीट प्रदान करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय है। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय की सामरिक और योग पर आधारित बुक का विमोचन भी किया।
वहीं, राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा विकसित भारत के निर्माण की महती जिम्मेदारी सौंपी है। शिक्षक इस दिशा में छात्रों का मार्गदर्शन करें। वे विकसित भारत के कर्णधार हैं। राष्ट्र निर्माण के लिए निरंतर प्रयास करते रहना छात्रों की जिम्मेदारी है। डिग्री पाने वाले कुल छात्र-छात्राओं में 90 फीसदी बेटियां थीं। इसे देखकर लगता है कि बेटी बचाओ बेटा पढ़ाओ के लिए काम करना है।
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