भोपाल।  एक आंकड़े के अनुसार, वर्ष 1990-92 में भारत में 4 करोड़ गिद्ध थे। पर साल दर साल यह संख्या कम होती गयी। इसकी वजह इंसान ही थे, पशुओं को दर्द, सूजन आदि के दौरान डायक्लोफेनाक दवा दी जाती है। इनके खाने के बाद मरने वाले पशु या जानवर का मांस गिद्ध खाते हैं। इन शवों के सेवन से ही गिद्धों की संख्या में गिरावट आना शुरू हुआ था।

जब तक वन विभाग ने इस मामले को पकड़ा तब तक गिद्धों की संख्या में बहुत गिरावट आ चुकी थी और गिद्धों की प्रजाति लुप्त होने की कगार पर थी। एक वो समय था और एक आज का समय है जब मध्य प्रदेश में गिद्धों की संख्या 10,000 पार हो गई है। यह दावा मध्य प्रदेश वन विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म x पर शुक्रवार दोपहर एक वीडियो साझा कर बताया है। जिसके तहत प्रदेश में गिद्धों की गणना के लिए विभाग की अधिकृत नोडल एजेंसी वन विहार की डायरेक्टर पदमाप्रिया बालाकृष्णन का कहना है की अभी गणना में मिले साक्ष्यों का अध्यनन कर रहे हैं। अभी रिपोर्ट जारी नहीं की है।

आपको बता दें, गिद्धों की गणना 73 वन मंडलो में 16 -18 फरवरी तक की गयी थी। इसमें मिले साक्ष्य के आधार पर बताया गया कि करीब 800 से 1000 गिद्ध बढ़े है। यह दावा प्राथमिक तौर पर विभाग के कुछ अफसरों ने किया है। बीते वर्ष की गणना के अनुसार, प्रदेश में 9448 गिद्ध थे। एक साल में यह संख्या बढ़ी है। संरक्षण से गिद्धों की संख्या में साफ़-साफ़ इज़ाफ़ा दिखाई दे रहा है और अब गिद्ध लुप्त होने की कगार से बाहर है।