भोपाल । भोपाल के दिल में स्थित रानी कमलापति महल, अपने रहस्यमयी और वास्तुकला के लिए जाना जाता है। 18वीं शताब्दी में गोंड रानी कमलापति द्वारा स्थापित, यह महल निजाम शाह की पत्नी के नाम पर प्रसिद्ध हुआ। जहाज महल के रूप में भी इसकी पहचान है, क्योंकि इसकी परछाई रात के समय जहाज की आकृति जैसी प्रतीत होती है।
महल की वास्तुकला
महल की सात मंजिलों में से पांच मंजिलें जल में डूबी हुई हैं, जो इसे एक रहस्यमयी और अनोखा रूप प्रदान करती हैं। इसका निर्माण लखौरी ईंटों से किया गया था, जो लाहौर से मंगवाई गई थीं और इसकी मजबूती के लिए जानी जाती हैं। महल के निचले हिस्से को भारी पत्थरों के आधार पर बनाया गया था।
महल का रहस्य
महल के डूबने की कहानी बेहद रोचक है। राजा निजाम शाह के मित्र मोहम्मद खान की बुरी नजर और रानी के बेटे की मृत्यु के बाद, रानी ने महल की ओर जाने वाले बांध का रास्ता खोल दिया, जिससे तालाब का पानी महल में भरने लगा और इमारतें डूबने लगीं। रानी ने इसी पानी में समाधि ले ली।
रानी कमलापति
रानी कमलापति 18वीं शताब्दी की भारत की एक रानी थीं। वह भोपाल से 50 किलोमीटर दूर स्थित गिन्नौरगढ़ के गोंड राजा निजाम शाह की पत्नी थीं। नवम्बर 2021 में भोपाल के ‘हबीबगंज’ नामक रेलवे स्टेशन का नाम ‘रानी कमलपति रेल्वे स्टेशन’ किया गया। 13वीं सदी में भोपाल गोंड शासकों के अधीन था।
महल का वर्तमान
1989 में, इस महल को भारतीय धरोहर के रूप में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को सौंपा गया। आज यह महल भोपाल की शान है और इतिहास प्रेमियों के लिए एक अनमोल खजाना है। इसकी दीवारों में बसी कहानियां और इसकी वास्तुकला आज भी लोगों को आकर्षित करती हैं। इतिहास के इन रोमांचक पन्नों को देखने के लिए भोपाल के रानी कमलापति महल की यात्रा अवश्य करें।