भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मप्र लोक सेवा आयोग से राज्य सिविल सेवा में चयनित अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन में शामिल हुए। सीएम मोहन यादव ने चयनित अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जनसेवा और जनकल्याण के भाव से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। स्वयं पर विश्वास रखें और अनुशासित रहते हुए सदैव अपनी दक्षता संवर्धन का प्रयास करते रहें। सीएम डॉ. यादव ने विक्रम-बेताल के प्रसंग के माध्यम से प्रशासन और प्रबंधन के सूत्र नव-नियुक्त अधिकारियों के साथ बांटे।
सिंहावलोकन अच्छा शब्द है – सीएम
सीएम ने कहा कि शिक्षण और प्रशिक्षण का फर्क आप जानते हैं। यह आपके पुण्य फलों का परिणाम है कि आपको अच्छे अधिकार संपन्न व्यक्तित्व का मौका मिला है। आप कई मामलों में भाग्यशाली हैं क्योंकि आपने यह परीक्षा एक बार पास की है, जबकि हमें हर पाँच साल में परीक्षा से गुजरना पड़ता है। लेकिन आपको भी कदम कदम पर ऐसे कई प्रशिक्षणों के दौर से गुजरना पड़ेगा। ऐसे हर दौर में आपके लिए खुद का निखारना आवश्यक होगा। ऐसे समय के लिए सिंहावलोकन बहुत अच्छा शब्द है, जो हम सबके जीवन में काम आता है। शेर जब जंगल में निकलता है तो आत्मविश्वास के साथ खुद का आंकलन करता है। अगर आप अपनी ऊर्जा, पिंड, क्षमता और योग्यता का आंकलन करते हुए खुद के अंदर झांक कर देखेंगे तो आपको भी अपने अंदर अनंत संभावनाएं दिखाई देंगी। यह कार्यक्रम चयनित अभ्यर्थियों को राज्य शासन के उद्देश्य, शासकीय सेवा के नियम प्रक्रियाओं और जन अपेक्षाओं का सिंहावलोकन प्रदान करेगा।
‘दलदल’ में न फंसें
सीएम ने विधायिका और कार्यपालिका के बीच के संबंध पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें अच्छे व्यक्ति को समझना चाहिये। विभिन्न दलों के लोग अपनी अपनी बात कहेंगे, लेकिन आपको किसी ‘दलदल’ में नहीं फंसना है। ऐसे समय में हमें अच्छे व्यक्ति का चुनाव कर अपने दृष्टिकोण से काम लेना है। सीएम ने कहा कि जिस तरह एक आँख की क्षमता पहचानने के लिए दूसरी आँख को बंद करना पड़ता है, वैसे ही हमें दोनों पक्षों को उनके नजरिये से देखना चाहिये, तभी हम उचित निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। सही पहचान, सही काम करने से बनती है। फाइलों को टालने से बेहतर है कि आत्मविश्वास के साथ दूर तक देखने की क्षमता विकसित करें।
विक्रम-बेताल की कहानी से समझाए प्रशासकीय गुर
कार्यक्रम के दौरान सीएम ने नवनियुक्त अधिकारियों से बेताल का जिक्र करते हुए शासन-प्रशासन के गुर साझा किये। सीएम ने कहा जब एक व्यक्ति अपने पुरुषार्थ और पराक्रम से शासन के सूत्र अपने हाथ में लेता है तो अपने आस-पास सुयोग्य लोगों की माला बनाता है। राजा विक्रमादित्य के पास ऐसे ही सुयोग्य लोगों की संगठित टीम थी, जिसे नवरत्न कहा जाता था। जिस बेताल को प्रेत कहा जाता है, वह वास्तव में राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों में शामिल था। राजा विक्रमादित्य के खिलाफ एक षडयंत्रकारी जब साधु का वेश बनाकर बेताल को मांगता है तो राजा विक्रम बेताल को लेने पहुंचते हैं। यहां पर बेताल राजा विक्रम की बुद्धिमानी की परीक्षा लेकर संतुष्ट होने के बाद बताता है कि अमुक साधु षडयंत्रकारी है और मुझे माँगने के बहाने वह तुम्हारी हत्या करना चाहता है। तब बेताल ही राजा विक्रम को उस षडयंत्रकारी को समाप्त करने का रास्ता बताता है।
विक्रम बेताल की कहानी के साथ सीएम डॉ. यादव ने अधिकारियों को कहा कि इसी तरह आपको भी अपने पास आने वाले सभी प्रश्नों को समझना चाहिये और आवश्यकता पड़ने पर समस्याओं का हल भी बताना चाहिये। अपने उद्बोधन के साथ सीएम डॉ. मोहन यादव ने सभी चयनित अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।