भोपाल, मनोज राठौर। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में हुई कम वोटिंग ने बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं की टेंशन बढ़ा दी है। एक दो नहीं, बल्कि प्रदेश की 29 में से 23 लोकसभा सीट पर कम वोटिंग हुई है। ये स्थिति जब है, तब कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में वोटिंग पर्सेंट बढ़ा था। इतना ही नहीं इस चुनाव में आदिवासी सीटों पर भी वोटिंग प्रतिशत कम दर्ज किया गया। इस वोटिंग प्रतिशत से किसी खेमे में खुशी है, तो किसी के खेमे में गम। देखिए भोपाल हमारी ये खास पेशकश…
-29 में से 23 सीटों पर हुई कम वोटिंग
-पिछले चुनाव की तुलना में 4 फीसदी घटी वोटिंग
-कम वोटिंग से कहीं खुशी…कहीं गम…
-आदिवासी सीटों पर भी हुआ कम मतदान
-महिला वोट बैंक ने भी दिया जोरदार झटका
-वोटिंग पर्सेंट कम होने से टेंशन में नेता जी
-जहां बढ़ी वोटिंग…वहां जीत का भर रहे दम
प्रदेश की सभी 29 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। सभी को इंतजार है 4 जून को आने वाले रिजल्ट का। लेकिन उससे पहले वोटिंग प्रतिशत ने सभी सियासी दलों की टेंशन बढ़ा दी है। इस बार के लोकसभा चुनाव की वोटिंग की बात करें, तो सभी 29 सीटों पर 66.77 फीसदी वोटिंग हुई। जो 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले करीब 4 फीसदी कम है। 2019 के चुनाव में प्रदेश की 29 सीटों पर 71.16% वोटिंग हुई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 23 सीटों पर वोटिंग घटी है। जबकि 6 सीटों पर मतदान ज्यादा हुआ है। प्रदेश में चार चरणों में हुए चुनाव में पहले और दूसरे फेज में वोटिंग पर्सेंट में गिरावट आई थी। लेकिन तीसरे चरण में मामूली बढ़ोत्तरी के साथ चौथे चरण की 8 सीटों इंदौर, उज्जैन, देवास, रतलाम, मंदसौर, धार, खरगोन और खंडवा में पांच महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव की अपेक्षा में सात फीसदी वोटिंग कम हुई। एमपी में 2023 के विधानसभा चुनाव में 77.15 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 29 सीटों पर 66.77 फीसदी वोटिंग हुई है। जो विधानसभा चुनाव से करीब 10 प्रतिशत कम है।
-2019 लोकसभा के तुलना में 4 फीसदी कम हुई वोटिंग
-विधानसभा के मुकाबले 7 फीसदी कम हुआ मतदान
-सबसे कम वोटिंग इंदौर में 60.53 फीसदी हुई
-पिछले चुनाव की तुलना में 8 फीसदी कम हुई वोटिंग
-विधानसभा चुनाव के मुकाबले 17 फीसदी कम हुई वोटिंग
-सबसे ज्यादा 75.79 फीसदी वोटिंग खरगोन सीट पर हुई
-पिछले लोकसभा चुनाव से 2 फीसदी कम हुई वोटिंग
इंदौर संसदीय क्षेत्र की सभी 8 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। चौथे चरण में जिन आठ संसदीय क्षेत्र में वोटिंग हुई। उनमें से सबसे कम 60.53 फीसदी वोट इंदौर में पड़े। ये स्थिति तब है, जब यहां कांग्रेस मुकाबले में नहीं थी। पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार 12 फीसदी वोट कम पड़े है, तो विधानसभा की तुलना में 17 फीसदी कम वोटिंग हुई हैं। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से ज्यादा मंत्री तुलसी सिलावट के क्षेत्र में वोटिंग हुई। कैलाश विजयवर्गीय के इंदौर-1 क्षेत्र में 55.75 फीसदी, जबकि सिलावट के क्षेत्र सांवेर में 62.05 फीसदी वोटिंग हुई। इसके अलावा उज्जैन सीट से तराना से कांग्रेस विधायक महेश परमार और भाजपा के सांसद अनिल फिरोजिया के बीच मुकाबला है। विधासभा चुनाव में यहां की 6 सीटें भाजपा और 2 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। लोकसभा चुनाव में 2.37फीसदी कम वोटिंग हुई है।
खरगोन लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा वोटिंग हुई। यहां 75.79 फीसदी वोटिंग हुई। लेकिन यह पिछले लोकसभा की तुलना में 2 फीसदी कम है। यहां 2019 में 77.82 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस सीट पर भाजपा के गजेंद्र सिंह और कांग्रेस के पोरलाल परते के बीच मुकाबला है। विधानसभा में 8 में से 5 सीटें कांग्रेस और 3 सीटें भाजपा ने जीती थीं। विधानसभा चुनाव के अनुसार यहां 8 फीसदी वोटिंग कम हुई। वहीं कांग्रेस विधायक सचिन यादव की कसरावद विधानसभा क्षेत्र में 13 फीसदी वोटिंग कम हुई है।
देवास लोकसभा सीट
-लोकसभा के मुकाबले 4 % वोटिंग कम
-विधानसभा के मुकाबले 11 % कम मतदान
-सभी 8 विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा
-देवास विधानसभा सीट पर सबसे कम वोटिंग
धार लोकसभा सीट
-पिछले चुनाव की तुलना में 3 फीसदी कम वोटिंग
-बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में वोटिंग
-विधानसभा की तुलना में 10 फीसदी कम मतदान
-8 सीट में 3 पर बीजेपी, 5 पर कांग्रेस का कब्जा
-धार सीट में सबसे कम वोटिंग महू सीट पर हुई
भिंड, ग्वालियर में तो मतदान का प्रतिशत बढ़ा। लेकिन चौथे चरण की हाईप्रोफाइल सीट गुना, विदिशा और राजगढ़ में भी वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हुई। गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया, विदिशा से शिवराज सिंह चौहान और राजगढ़ से दिग्विजय सिंह की साख दांव पर लगी है। इन पांच सीटों के अलावा चौथे चरण की चार सीटों पर वोटिंग प्रतिशत घटा भी है। इनमें मुरैना, सागर, भोपाल और बैतूल लोकसभा सीट शामिल हैं।
मंदसौर लोकसभा सीट
-वित्त मंत्री देवड़ा के क्षेत्र में सबसे अधिक वोटिंग
-विधानसभा की तुलना में 11 फीसदी वोटिंग कम
-8 में 7 सीट पर बीजेपी का कब्जा
-सबसे कम वोटिंग 68.48 फीसदी गरोठ में हुई
खंडवा लोकसभा सीट
-इस बार 8.02 फीसदी कम हुई वोटिंग
-सभी 8 विधानसभा क्षेत्रों में घटी वोटिंग
-8 सीट में से 7 पर भाजपा का कब्जा
लोकसभा के रण में उतरे तीन दिग्गज शिवराज सिंह चौहान, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया ही अपने विधानसभा क्षेत्र में बंपर वोटिंग करा पाए। शिवराज सिंह चौहान ने 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले बुधनी सीट पर 6.96 प्रतिशत, दिग्विजय ने राघौगढ़ पर 5.68 प्रतिशत, सिंधिया की ग्वालियर पूर्व सीट पर 2.31 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ। पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दतिया सीट पर 2.71 प्रतिशत, भूपेंद्र सिंह ने खुरई सीट पर 2.95 प्रतिशत वोटिंग ज्यादा हुई। सिंधिया और अशोक सिंह की ग्वालियर पूर्व सीट पर 2.31 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ।
इन सीट पर बढ़ा मतदान
लोकसभा सीट 2019 2024 बढ़ोत्तरी
भिंड 54.42% 54.87% 0.45%
ग्वालियर 59.78% 61.68% 1.90%
गुना 70.32% 71.95% 1.63%
विदिशा 71.79% 74.05% 2.26%
राजगढ़ 74.39% 75.39% 1.00%
उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे की अटेर में सबसे कम 47.74 प्रतिशत वोट ही पड़े जो पिछले लोकसभा चुनाव से 16.48 फीसदी कम है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह की लहार सीट पर 52.66 फीसदी वोट पड़े, यह 14.58 प्रतिशत कम है। जहां बीजेपी सबसे ज्यादा अंतर से जीती थी। वहां पर वोटिंग ज्यादा हुई। जहां अंतर कम रहा। वहां पर वोटिंग प्रतिशत घटा।
इन सीट पर घटा मतदान
लोकसभा सीट 2019 2024 कमी
मुरैना 61.89% 58.22% 3.67%
सागर 65.51% 65.19% 0.32%
भोपाल 65.65% 64.34% 1.31%
बैतूल 78.15% 72.65% 5.53%
बीजेपी प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतने का दावा कर रही है। जबकि कांग्रेस ये मानकर चल रही है कि उसकी सीटों की संख्या बढ़ेगी और 12 सीटों पर उसे जीत मिलेगी। दोनों दलों के अपने अलग-अलग दावें हैं। लेकिन ये तय बात है कि कम और ज्यादा वोटिंग प्रतिशत ने दोनों ही दलों की टेंशन को बढ़ाने का काम किया है। इस वोटिंग पर्सेंट पर दोनों ही दलों के दावे कितने सही साबित होंगे। ये जनता जर्नादन तय करेगी और रिजल्ट के समय सभी के दावों की असलियत भी पता चल जायेगी।