ग्वालियर। शहर के ग्वालियर चंबल अंचल में होलीकाष्ट लगते ही, रंगों के त्यौहार होली की उमंग और उत्साह और मस्ती दिखाई देने लगती है। ग्रामीण टोलियों में पारंपरिक लोक गायन कर होली का त्यौहार मनाते हैं, वर्तमान परिदृश्य में यह लोक गीत धीरे—धीरे खत्म होने की कगार पर पहुंच गए हैं। लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल के बुजुर्ग आज भी फाग गायन कर होली का त्यौहार मनाते हैं।

पहले ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से फाग गायन की शुरुआत होली के त्यौहार से एक महीने पहले ही शुरू हो जाता था। लेकिन अब यह कुछ ही गांव में देखने और सुनने को मिलता है। ग्रामीण एक साथ मिलकर एक सुर में लोक गीत के अंदाज में फाग गायन करते हुए होली का त्यौहार मनाते है। इसमें बुजुर्ग युवा वर्ग के लोग शामिल होकर फाग गायन करते हैं।

लोक गायन फाग

ग्वालियर के गिरगांव में पारंपरिक लोक गायन फाग गायन की शुरुआत हो गई है। जो होली के बाद रंग पंचमी तक जारी रहेगा, एक सुर में लोक गायन शैली में बने फाग गायन में भगवान की भक्ति भी शामिल होती है, आज के दौर में जहा म्यूजिक के नाम पर फूहड़ता का बोल बाला बढ़ता जा रहा है, तो दूसरी तरफ ग्वालियर में ये फाग गायन ईश्वर भक्ति के साथ साथ होली के त्यौहार की उमंग और उत्साह को और आनंद से भर देता है।