खंडवा। 4 अगस्त 1929 में आज के दिन ही उस महान शख्सियत (Kishore Kumar) का जन्म हुआ था, जिसने अपनी आवाज से लाखों-करोड़ों लोगों को अपना दिवाना बनाया। आज भले ही वह हमारे बीच में मौजूद नहीं हैं लेकिन उनके गाए गानों के जरिए वह हमेशा उनके चाहने वालों के दिलों में जिंदा रहेंगे। हम बात कर रहे हैं भारतीय फिल्म जगत के लीजेंड्री सिंगर किशोर कुमार की। जिन्हें उनके प्रशंसक प्यार और सम्मान से किशोर दा कहते थे। आज उनकी 95वीं जयंती है।
एक बार फिर दुनिया के सबसे पॉपुलर लीडर बने PM नरेंद्र मोदी, अमेरिकी और चीनी राष्ट्रपति टॉप-10 से बाहर
किशोर कुमार (Kishore Kumar) मध्यप्रदेश के खंडवा के मध्यवर्गीय बंगाली परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम कुंजी लाल गांगुली था जो कि अधिवक्ता थे। तीन भाईयों में किशोर कुमार सबसे छोटे थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के सर्वाकालिक महान गायकों में शामिल किशोर कुमार ने संगीत की कोई शिक्षा नहीं ली थी।
हालांकि, उनका रुझान संगीत की ओर शुरू से था। इसकी वजह उस समय के प्रसिद्ध अभिनेता और गायक केएल सहगल थे। वह उनके पसंदीदा आर्टिस्ट थे। किशोर कुमार उनकी ही तरह गायक बनना चाहते थे। अपने फेवरिट सिंगर केएल सहगल से मिलने की चाह में वो 18 वर्ष की उम्र में मुंबई पहुंचे गए थे।
उस समय तक किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार बतौर अभिनेता मुंबई फिल्म जगत में स्थापित हो चुके थे। उनकी इच्छा थी कि किशोर कुमार भी उन्हीं की तरह अभिनेता बने। लेकिन, किशोर कुमार गायक बनना चाहते थे। उनकी यह इच्छा पूरी हुई और उन्होंने संगीत जगत में ऐसा नाम कमाया जिसका सपना सभी सिंगर देखते हैं।
गाए 7 हजार गाने
किशोर कुमार ने 1 हजार से ज्याद फिल्मों में 7 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं। उन्होंने हिंदी के अलावा बंगाली, मराठी, गुजराती, उड़िया, कन्नड़, मलयालम और असमिया भाषाओं में गाने गाए। इसके साथ ही उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय भी किया। उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिले। जिनमें आठ फिल्मफेयर पुरस्कार और एक पद्म भूषण शामिल हैं।
खंडवा से था खास लगाव
‘दूध जलेबी खाएंगे, खंडवा में बस जाएंगे’। यह डायलॉग किशोर दा ने अपनी एक फिल्म में बोला था। इसके साथ ही उन्होंने कई फिल्मों में अपने निवास स्थान खंडवा बताया था। इसके अलावा जब भी वो किसी कार्यक्रम में जाते थे तो अपने संबोधन की शुरुआत में कहते थे, ‘मैं किशोर खंडवा वाला…’। यह सब दर्शाता है कि उन्हें अपने जन्मस्थान से कितना लगाव था और वह देश-दुनिया में उसका नाम बड़े गर्व से लेते थे।
पूरी नहीं हो सकी अंतिम इच्छा
किशोर कुमार की इच्छा रिटायरमेंट के बाद खंडवा में बसने की थी। लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। उन्होंने बीच में ही दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी आखिरी इच्छा के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही किया गया।
किशोर कुमार को दूध जलेबी खाना बहुत पसंद था। यही वजह है कि उनके प्रशंसक उनकी जयंती के मौके पर खंडवा स्थित उनकी समाधि पर दूध-जलेबी का भोग लगाते हैं। किशोर कुमार के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए 4 अगस्त को खंडवा दिवस मनाया जाता है।