जबलपुर। मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स (Junior doctors strike) की हड़ताल को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस की बेंच ने डॉक्टरों की हड़ताल के इस तरीके को गलत बताया है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी की जान जा रही होगी, तो कहिएगा दो दिन बाद दवाई देंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने डॉक्टरों को काम पर लौटने की सलाह दी है।
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बता दें कि कोलकाता (Junior doctors strike) में महिला ट्रेनी डॉक्टर के रेप और फिर हत्या को लेकर पूरे प्रदेश के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। बीते कुछ दिनों से भोपाल एम्स में डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसे लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है।
कोर्ट ने कहा कि कोलकाता की घटना और डॉक्टर्स की सुरक्षा पूरे देश का मुद्दा है। इसके साथ ही कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जूडा) को हड़ताली संगठनों से बात करने हेतु निर्देशित किया है।
बेंच ने कहा कि कोलकाता की घटना और डॉक्टर्स की सुरक्षा पूरे देश का मुद्दा है। कोर्ट ने जूडा को हड़ताली संगठनों से बात करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता IMA को भी पक्षकार बनाएगा। थोड़ी देर बाद फिर मामले की सुनवाई होगी।
वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के कई शहरों में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। ग्वालियर में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या के विरोध में ग्वालियर जयारोग्य हॉस्पिटल के सभी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही।
भोपाल के नेशनल हॉस्पिटल, हजेला हॉस्पिटल, अक्षय हार्ट हॉस्पिटल, सिद्दांता रेडक्रॉस हॉस्पिटल, गेस्ट्रो केयर हॉस्पिटल और चिरायु सहित कई प्राइवेट हॉस्पिटलों ने ओपीडी बंद रखकर विरोध जताया। इनमें कुछ अस्पतालों ने दफ्तर के बाहर ओपीडी बंद रखने की सूचना नोटिस चस्पा कर दी है। इन अस्पतालों में केवल इमरजेंसी सेवाएं चालू हैं।