रीवा । गुढ़ के एक तालाब में विदेशी मांगुर मछली का अवैध पालन और बिक्री का भंडाफोड़ किया गया है। पुलिस और मत्स्य विभाग की टीम ने इस मछली को जब्त करके नष्ट कर दिया है। इसके साथ ही एक शख्स को भी गिरफ्तार किया है। यह मछली भारत में प्रतिबंधित है, क्योंकि यह मांसाहारी है और इसका सेवन घातक बीमारियों का कारण बन सकता है।

प्रतिबंध के बावजूद लोग के द्वारा खेती क्यों जारी हैं?

इस मछली का पालन गुढ़ में कई वर्षों से हो रहा था। कुछ लोग इसकी अधिक मांग और लाभ के लिए इसका धंधा कर रहे थे। इस मछली को बाजार में 30 से 40 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाता था। इस मछली को थाईलैंड या बांग्लादेश से लाया जाता था।

मत्स्य विभाग के सहायक उप संचालक ने कहा कि उन्हें इस मछली के पालन वालों के बारे में जानकारी मिली थी। उन्होंने पुलिस की मदद से छापा मारा। उन्होंने चेताया कि जो भी लोग इस मछली के पालन, परिवहन या बिक्री में लिप्त होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

छापे के दौरान एक ट्रक पर कब्जा किया गया, जिसमें 50 किलो मांगुर मछली थी। ट्रक का चालक पकड़ा गया। उसने बताया कि वह इस मछली को बांग्लादेश से मंगाता है और इसे गुढ़ के नजदीक के गांवों में फैलाता है।

मांगुर मछली पर भारत में बैन कब और क्यों लगा?

मांगुर मछली को भारत में साल 2000 में ही बैन कर दिया गया है। इस मछली का खाना सेहत और पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इस मछली में लेड और आयरन के अवयव होते हैं, जो कैंसर जैसी बीमारियों को पैदा करते हैं। इस मछली को खाने से लोगों का वजन बढ़ जाता है और शरीर में धीरे-धीरे जहर फैलता है।

मांगुर मछली पालने पर क्या कार्रवाई की जा सकती है?

मांगुर मछली के पालन और बिक्री करने वालों पर भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 का उल्लंघन करने का मामला दर्ज होगा। इसमें दोषी को तीन साल की जेल और पांच हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है।

मत्स्य विभाग और पुलिस ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे इस मछली का उपभोग न करें और इसके पालन वालों की शिकायत करें।