भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना ‘केन-बेतवा लिंक परियोजना’ का शिलान्यास किया। इस योजना (Ken-Betwa Link Project) से एमपी-यूपी के बुंदेलखंड रीजन में आने वाले कई जिलों का जल संकट दूर होगा। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनाए जाने वाले बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर पानी का संग्रहण करने की क्षमता होगी। यह परियोजना क्या है और इससे यूपी एमपी के किन जिलों को फायदा मिलेगा? आइए जानते हैं…

क्या है केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट?

सबसे पहले बात करते हैं कि ये केन-बेतवा लिंक परियोजना क्या है। इस प्रोजेक्ट में पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई और 2.13 किलोमीटर लंबाई वाला बांध बनाया जाएगा, जिसमें 2,853 मिलियन घन मीटर पानी को संग्रहित किया जाएगा। इस बांध का नाम दौधन बांध होगा। बांध पर दो टनल का निर्माण किया जाएगा। जिनसे 221 किमी लंबी लिंक नहर के द्वारा यूपी और एमपी के 13 जिलों में सिंचाई एवं पेयजल के लिए पानी प्रदान किया जाएगा। इसके बाद शेष बचे पानी को बेतवा नदी में छोड़ दिया जाएगा। (Ken-Betwa Link Project)

क्यों पड़ी इस प्रोजेक्ट की जरुरत?

भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां कहीं सूखा पड़ जाता है तो कहीं ज्यादा बारिश होने के चलते बाढ़ आ जाती है। इस समस्या पर काबू पाने के लिए पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दो दशक पहले नदी जोड़ो परियोजना की परिकल्पना की थी। जिससे बाढ़ और सूखे की समस्या से निजात पाया जा सके। उनका यह सपना केन-बेतवा लिंक के माध्यम से आज पूरा हो रहा है।

दरअसल, अटल जी को इस नदियों को जोड़ने की बात उनके प्रधानमंत्री रहते हुए देश के कई हिस्सों में पड़े सूखे की वजह से सूझी। साल 2002 में देश में भयंकर सूखा पड़ा था। इस समस्या से निजात पाने के लिए उस समय उनके दिमाग में नदियों को जोड़ने का विचार आया। उन्होंने यह बात संसद में रखी। लेकिन, 2004 में चुनाव हार जाने की वजह से यह मामला ठंडा पड़ गया था।

इसके बाद साल 2014 में फिर BJP की सरकार बनी। अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेंद्र मोदी भी नदियों को जोड़ने की योजना को अमल में लाना चाहते थे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिलकर इस काम में सामने आने वाली तमाम अड़चनों को दूर किया। केंद्र से फंड की मंजूरी भी मिल गई है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी नींव रखी है।

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बदलेगी बुंदेलखंड की तस्वीर

इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ मध्यप्रदेश को होगा। इससे प्रदेश के पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी एवं दतिया लाभान्वित होंगे। वहीं यूपी के बुंदेलखंड रीजन के महोबा, झांसी, ललितपुर एवं बांदा में भी इस परियोजना से पानी के संकट को दूर किया जा सकेगा।

इस परियोजना से मध्यप्रदेश के 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा मिलेगी और 44 लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे। फसलों के उत्पादन एवं किसानों की आय में वृद्धि से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से ग्रीन एनर्जी में 103 मेगावॉट योगदान के साथ रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। बेहतर जल प्रबंधन एवं औद्योगिक इकाइयों को पर्याप्त जल आपूर्ति से औद्योगिक विकास होगा और रोजगार को बढ़ावा भी मिलेगा।

इस परियोजना से उत्तर प्रदेश में 59 हजार हेक्टेयर वार्षिक सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी एवं 1.92 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मौजूदा सिंचाई का स्थिरीकरण किया जायेगा, जिससे उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर एवं बांदा जिलों में सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी। परियोजना से मध्यप्रदेश की 44 लाख और उत्तर प्रदेश की 21 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा उपलब्ध होगी।