भोपाल। हिंदू धर्म में तुलसी (वृंदा) को बेहद पवित्र और पूजनीय माना गया है। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप होता है। कार्तिक माह के एकादशी को शास्त्रों में बहुत ही शुभ मानी गई है क्योंकि इस दिन पालनकर्ता भगवान विष्णु योग निंद्रा से जागते हैं जिसके साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है। (Tulsi Vivah 2024)
देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ पूरे विधि-विधान से तुलसी विवाह किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन तुलसी विवाह करना बहुत ही शुभ और मंगलकारी होता है। ऐसा करने वाले लोगों को सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। (Tulsi Vivah 2024)
चलिए जानते हैं तुलसी विवाह के महत्व और इसमें लगने वाली आवश्यक सामग्री के बारे में….
कैसे हुई शुरूआई?
सनातन शास्त्रों में तुलसी विवाह के पीछे एक कथा प्रचलित है। तुलसी पहले वृंदा थी और उनका पति जालंधर एक असुर था। चूंकि वृंदा पतिव्रता थीं इस वजह से उन्हें पति की रक्षा का वरदान मिला था। इसके चलते जालंधर राक्षस का अंत करने में असमर्थ थे। ऐसे में सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे। उन्होंने जगत कल्याण के लिए देवताओं की बात मानी और छल से वृंदा का पतिव्रत धर्म खंडित कर जालंधर का वध किया।
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भगवान विष्णु जालंधर का रूप धर वृंदा के पास गए, इस तरह वृंदा का पतिव्रत धर्म खंडित हो गया और जालंधर मारा गया। इससे वृंदा बुरी दुखी और क्रोधित हो गई। क्रोधवश उसने भगवान विष्णु को पत्थर का बन जाने का शाप दिया। जिसे भगवान विष्णु ने स्वीकार कर लिया और वो शालिग्राम में परिवर्तित हो गए। भगवान के इसी शालिग्राम स्वरूप को भक्त पूजते हैं।
भगवान विष्णु वृंदा की सच्ची भक्ति देखकर अति प्रसन्न हुए और उन्होंने वृंदा के साथ विवाह करने का प्रस्ताव रखा, जिसे वृंदा ने स्वीकार कर लिया। तब से लेकर आजतक हर साल भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है।
तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त
इस साल तुलसी विवाह 12 नवंबर (मंगलवार) यानी आज कराया जाएगा। पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 11 नवंबर शाम 6.46 से 12 नवंबर सायंकाल 4 बजकर 4 मिनट तक है। इसके अगले दिन द्वादशी तिथि लग जाएगी जो अगले दिन दोपहर 1 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। चूंकि तुलसी विवाह प्रदोष काल यानी कि शाम के समय कराया जाता है, इस वजह से इसे 12 नवंबर को मनाया जाएगा। बात करें तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त की तो वह आज शाम 5 बजकर 29 मिनट से लेकर 7 बजकर 53 मिनट के बीच है।
कैसे करें पूजन
वैसे तो हिंदू धर्म को मानने वाले अपने घरों में लगे तुलसी के पौधे की रोज पूजा करते हैं। लेकिन, कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा का महत्व बढ़ जाता है। तुलसी विवाह के दिन घर के आंगन में केले के पत्तों का मंडप सजाया जाता है। विवाह में शामिल होने के लिए घर, परिवार और आस-पास के लोगों को आमंत्रित किया जाता है।
तुलसी के लिए जरुरी सामग्री की बात करें तो श्रृंगार और सुहाग का सामान जैसे साड़ी और वस्त्र, लाल चुनरी, बिछिए, सिंदूर, बिंदी, अंगूठी, काजल,मेंहदी, इत्र, चंदन, माला, चूड़ियां, पायल, मांगटीका आदि एकत्रित की जाती है। जिन्हें विवाह के समय तुलसी को अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि तुलसी विवाह करवाने और तुलसी के पूजन से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और विवाह करवाने वालों के घर में हमेशा के लिए सुख शांति बनी रहती है।
अगर आप इस बार तुलसी विवाह करने के लिए इन जरूरी चीजों को एकत्र करना चाहिए। इसके लिए आपके घर में तुलसी का पौधा हो और साथ ही शालिग्राम विग्रह भी हो। भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर, लकड़ी की एक चौकी, चौकी के लिए कपड़ा, धूप दीप, चंदन, धूप, रोली, अक्षत, कुमकुम, हल्दी की गांठ, फूल, फूलों की माला, बताशे, मिठाई, सिंघाड़ा, गन्ना।