भोपाल। रोहित शर्मा की अगुवाई में टीम इंडिया ने टी-20 वर्ल्डकप (T-20 World Cup) के फाइनल में जगह बना ली है। सेमीफाइनल में टीम गत चैंपियन इंग्लैंड को हराकर खिताबी मुकाबले में पहुंच गई है। जहां उसका मुकाबला साउथ अफ्रीका से होगा। 29 जून यानी शनिवार को बारबाडोस में खेले जाने वाले इस महामुकाबले के लिए फैंस काफी एक्साइटेड हैं। वहीं, उन्हें डर भी है कि कहीं पिछले 10 सालों से आईसीसी टूर्नामेंट के नॉकआउट में बाहर होनी वाली टीम इंडिया इस बार भी चोकर्स न बन जाए।

हालांकि, इस बार भारतीय टीम (T-20 World Cup) के पास बीते 10 साल से मिल रही हार के सिलसिले को रोकने का अच्छा मौका है।

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साउथ अफ्रीका के पास है चोकर्स का टैग

वैसे इंटरनेशनल क्रिकेट (T-20 World Cup) में ‘चोकर्स’ नाम से केवल साउथ अफ्रीका ही पहचानी जाती है। क्योंकि इतनी मजबूत और संतुलित टीम होते हुए भी वह आज तक एक भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीत सकी है। टीम कई बार आईसीसी टूर्नामेंट के नॉकआउट मुकाबलों में जाकर चोक (Chokers) कर जाती है।

वैसे अगर टीम इंडिया के पिछले 10 सालों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो उसका हाल भी कुछ-कुछ साउथ अफ्रीका जैसा ही रहा है। बीते दस सालों में भारत ने आईसीसी के 10 टूर्नामेंट खेले हैं और हर बार ट्रॉफी के करीब जाकर टी चूक गई है।

भारतीय टीम ने आखिरी बार साल 2023 में आईसीसी ट्रॉफी जीती थी। तब इंग्लैंड की धरती पर खेली गई चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया ने जीत हासिल की थी। उस समय टीम के कप्तान एमएस धोनी थे। इसके बाद से लेकर अब तक 10 साल से ज्यादा का समय हो गया लेकिन भारतीय टीम किसी ट्रॉफी पर कब्जा नहीं जमा पाई।

नॉकआउट में पहुंचकर डगमगा जाती है टीम

2013 के बाद टीम इंडिया ने वनडे, टी-20 और टेस्ट फॉर्मेट को मिलाकर 10 आईसीसी टूर्नामेंट खेले हैं। जिनमें से 9 के नॉकआउट स्टेज में उसने जगह बनाई है। केवल एक बार दुबई में खेले गए टी-20 विश्वकप 2021 में वो ग्रुप स्टेज से बाहर हो गई थी।

टूर्नामेंट के अंतिम पड़ाव में जाकर टीम इंडिया का प्रदर्शन किस तरह डाउन हो जाता है उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 9 नॉकआउट स्टेज में खेले 13 मुकाबलों में उसने केवल 4 में जीत हासिल की थी। जबकि 9 में उसे हार का सामना करना पड़ा है।

5 बार खेला फाइनल

भारतीय टीम ने पिछले 10 आईसीसी टूर्नामेंट में 5 बार ट्रॉफी के बेहद करीब आकर चूक गई है। मतलब 5 बार टीम ने फाइनल में आकर हारी है। ऐसे में उसे साउथ अफ्रीका के बाद दूसरा चोकर्स कहा जाने लगा है। हालांकि भारतीय टीम और साउथ अफ्रीका को मिले चोकर वाले टैग में एक अंतर है भारतीय टीम ज्यादातर फाइनल में आकर हारती है। तो वहीं साउथ अफ्रीका सेमी फाइनल में ही हार जाती है।

इस बार साउथ अफ्रीका ने पहली बार आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बना कर इतिहास रच दिया है। उसकी कोशिश जहां पहली बार आईसीसी ट्रॉफी अपने नाम करने की होगी। वहीं, टीम इंडिया के पास खिताबी मुकाबला जीतकर 10 साल का सूखा खत्म करने और यह साबित करने का मौका होगा कि वो ‘चोकर्स’ नहीं है।

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