मध्य प्रदेश में छात्र संघ चुनाव की सुगबुगाहट एक बार फिर शुरू हो गई है। जब-जब छात्र नेताओं द्वारा चुनाव (Student Union Election) की मांग उठाई जाती है, तब-तब सरकारें उनको कोई न कोई आश्वासन देकर मामला शांत करा देती हैं। जिसके बाद फिर से मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। छात्र संघ चुनाव में सरकारें तब शिथिलता बरत रही हैं, जब प्रदेश के कई छात्र नेता आज मुख्य धारा की राजनीति के शिखर पर पहुंच चुके हैं।

पिछली सरकार में मोहन यादव ने चुनाव कराने की कही थी बात

दरअसल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर प्रदेश में छात्र संघ (Student Union Election) के चुनाव कराने की मांग की है। ऐसा नहीं कि ये मांग पहली बार की जा रही हो, बल्कि इससे पहले भी ये मांग की जाती रही है। पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान सरकार में जब डॉ. मोहन यादव उच्च शिक्षा मंत्री थे, तो उन्होंने छात्रसंघ चुनाव कराने की बात कही थी। ऐसे में अब जब राज्य की बागडोर ही खुद सीएम मोहन यादव के हाथ में है तो फिर से छात्रसंघ चुनाव की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है।

प्रत्यक्ष प्रणाली से निष्पक्ष प्रतिनिधि चुन सकेंगे

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मुख्यमंत्री से प्रत्यक्ष प्रणाली के जरिए चुनाव कराने की मांग की है। उनका कहना है कि प्रत्यक्ष प्रणाली में विश्वविद्यालय और महाविद्यालय का प्रत्येक विद्यार्थी अपने मन से अध्यक्ष का चुनाव करता है। जबकि अप्रत्यक्ष प्रणाली में विद्यार्थी क्लास का प्रतिनिधि चुनता है और वह प्रतिनिधि अध्यक्ष का चुनाव करता है।

1992 में प्रत्यक्ष प्रणाली से हुए थे चुनाव

जिस प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने की मांग छात्र संगठन कर रहे हैं। दरअसल वो आखिरी बार 1992 में हुए थे। लेकिन धीरे-धीरे चुनावों में हिंसक घटनाएं सामने आईं। जिसके चलते प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव को बंद करा दिया गया था, जबकि 2003 आते-आते छात्रसंघ चुनाव का प्रारूप ही बदल दिया गया। इसके बाद मेरिट के आधार पर चुनाव कराए गए। लेकिन इस प्रक्रिया का छात्र संगठनों ने विरोध किया। जिसके चलते मध्य प्रदेश में 2017 के बाद से छात्र संघ के चुनाव अटके हुए हैं।

छात्रसंघ चुनाव से युवाओं में नेतृत्व क्षमता विकसित होती है

हालांकि छात्र संघ चुनाव को लेकर छात्र संगठनों का अपना एक तर्क है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का मानना है कि छात्रसंघ चुनाव होने से माहौल सकारात्मक बनता है। साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर अध्यक्ष का फोकस होता है। इतना ही नहीं विद्यार्थियों की समस्याओं को अध्यक्ष या प्रतिनिधि दूर करते हैं। इससे युवाओं में नेतृत्व क्षमता भी विकसित होती है।

धीरन शाह की एंट्री से बदले सियासी समीकरण, दिलचस्प हुआ मुकाबला

छात्र राजनीति से निकले बड़े राजनेता

मध्य प्रदेश के कई ऐसे नेता हैं जो आज मुख्य धारा की राजनीति के शिखर पर हैं। इनमें वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, कैलाश विजयवर्गीय, राजेन्द्र शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार जैसे नेता तो इस वक्त प्रदेश की सियासत में पूरी तरह से एक्टिव हैं, ये वो नाम हैं प्रदेश की सियासत जिनके इर्द-गिर्द घूमती है। साथ ही इनमें से कुछ ऐसे नाम भी हैं जो देश की सियासत में भी अच्छा खासा दखल रखते हैं।