भारतीय क्रिकेट इतिहास के महान कप्तानों में से एक सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) का आज जन्मदिन है। अपना 52वां जन्मदिन मना रहे भारतीय क्रिकेट के ‘दादा’ को विश्व क्रिकेट में काफी प्यार मिला है। उनका जन्मदिन दुनियाभर में फैले उनके प्रशंसकों के लिए किसी जश्न से कम नहीं होता। क्रिकेट की दुनिया के दादा के जन्मदिन पर उनके जीवन से जुड़े खास किस्से के बारे में बात करेंगे।

8 जुलाई 1972 को जन्म

सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) का जन्म 8 जुलाई 1972 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के बेहला में एक अमीर परिवार में हुआ था। उनको अपने पहले विदेशी दौरे में रैगिंग का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद सीनियर्स की बेरुखी से वह बहुत सहम गए थे। 2018 में आई अपनी बायोग्राफी ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ में गांगुली ने अपने संघर्ष की कहानी को बयां किया है।

कमरे में बुलाकर डांटा

सौरव गांगुली के मुताबिक 1991-92 में हुए ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर संजय मांजरेकर ने उन्हें बुरी तरह फटकार लगाई थी। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया दौरे पर लगभग हर भारतीय बल्लेबाज फेल ही रहा था। तो वहीं, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करने के बाद मुंबई के संजय मांजरेकर देश के उभरते बल्लेबाज बन चुके थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में उनकी इमेज बुरी तरह खराब हो गई। जिसके बाद मांजरेकर ने अपने खराब प्रदर्शन की हताशा सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) पर निकाल दी थी। तब गांगुली टीम में नए-नए ही आए थे। ऐसे में मांजरेकर ने गांगुली को अपने कमरे में बुलाया और बोले, ‘अपना रवैया सुधार लो, वरना मैं सुधार दूंगा। सही ढंग से व्यवहार करना शुरू करो।’

गांगुली की रैगिंग होती थी

इस फटकार से गांगुली कई दिन तक परेशान थे। पूरे दौरे में गांगुली को एक भी मैच खेलने को नहीं मिला। यह गांगुली के करियर के शुरुआती दिन थे, इसलिए वह चाहकर भी मांजरेकर को जवाब नहीं दे पाए। सौरव ने अपनी आत्मकथा में लिखा, ‘मैं सोचता था कि आखिर ऐसा हुआ क्या है जो मांजरेकर मुझ पर इतना भड़क गए।’ जिसके बाद सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) को तब के धाकड़ बल्लेबाज रहे पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर का रूममेट बनाया गया। ‘कर्नल’ के आगे तो ‘दादा’ का मुंह तक नहीं खुलता था इसलिए वह अपने कमरे से ज्यादा हमउम्र सचिन तेंदुलकर के रूम में ही वक्त गुजारते थे।

कई खिलाड़ियों को दिया टीम में मौका

प्रिंस ऑफ कोलकाता के नाम से मशहूर सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने अगली पीढ़ी के क्रिकेटर्स को सुपरस्टार बनने के लिए प्रेरित किया। युवराज सिंह, जहीर खान, हरभजन सिंह और एमएस धोनी ऐसे कुछ खिलाड़ी हैं, जिन्हें 2000 के दशक की शुरुआत में उन्होंने टीम में मौका दिया। इस प्रभावशाली शुरुआत ने उनकी भविष्य की सफलता के लिए मंच तैयार किया। साथ ही सारे के सारे बाद में भारतीय क्रिकेट के मजबूत आधार स्तंभ बने।

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113 टेस्ट और 311 वनडे मैच खेले

दादा’ ने भारत के लिए 113 टेस्ट और 311 वनडे मैच खेले। अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में, बाएं हाथ के बल्लेबाज ने सभी प्रारूपों में 18,575 रन बनाए।गांगुली भारत में दिन-रात टेस्ट क्रिकेट के विचार के उद्भव के मुख्य कारणों में से एक हैं।