भोपाल। होली के सात दिन बात शीतला सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है। इसे कुछ स्थानों पर बसौड़ा भी कहा जाता है। बसौड़ा का अर्थ होता है बासी भोजन। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में इस त्योहार का बड़ा महत्व है। इस दिन माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है। मां शीतला ठंडक प्रदान करने वाली देवी कहा गया है। कहते हैं कि इनकी उपासना से आरोग्य का वरदान भी प्राप्त होता है। इस वर्ष शीतलाष्टमी 1 अप्रैल को मनाया जा रहा है।

शीतला अष्टमी के दिन विवाहित स्त्रियां अपने घर की सुख समृद्धि, अपने संतान की निरोगी व लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से बच्चों को चेचक, खसरा और आंखों की बीमारियां आदि नहीं होती है। इसके अलावा शीतला अष्टमी के दिन कुछ धार्मिक उपाय करके आप अपने जीवन में सुख-चैन ला सकते हैं।

घरों में नहीं जलाया जाता चूल्हा
अष्टमी के दिन बासी भोजन ही देवी को नैवेद्ध के रूप में समर्पित किया जाता है। मान्यता है कि अष्टमी के दिन कई घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है और सभी भक्त ख़ुशी-ख़ुशी प्रसाद के रूप में बासी भोजन का ही आनंद लेते हैं। जिन घरों में इस व्रत का पारण किया जाता है वहां आज भी बासी भोजन का भोग लगाकर स्वयं भी उसे ही प्रसाद रुप में ग्रहण करते हैं। इसे बसंत की विदाई के रुप में भी देखा जाता है और माना जाता है कि इसके बाद बासी भोजन नहीं खाना चाहिए, ​ताकि बीमारियों से दूर रहा जा सके।

पूजा विधि
पूजन करने के बाद माथे पर हल्दी का तिलक व घर के मुख्यद्वार पर सुख-शांति की मंगल कामना हेतु हल्दी के स्वास्तिक बनाएं।
शीतला माता पर चढ़ाएं और इसी जल से अपनी आंखें धोएं। इससे आंखें स्वस्थ रहती हैं।
‘ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः’ पौराणिक मंत्र का जाप करें। इससे मनुष्यों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है एवं मान—सम्मान बढ़ता है।