भोपाल: सोमवार से 18वीं लोकसभा का 9 दिवसीय विशेष सत्र शुरू होने जा रहा है। जिसके बाद मध्य प्रदेश की एक राज्यसभा सीट (Rajya Sabha Seat) खाली हो जाएगी। 19 जून, 2020 को इस सीट पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी से राज्यसभा के लिए चुने गए थे। अब लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी मूल लोकसभा सीट गुना से सांसद बन गए हैं, इसलिए अब वो राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे। क्योकि अभी उनका दो साल का कार्यकाल बाकी है।
सिंधिया की जगह कौन?
अब मध्य प्रदेश की सियासत में लोगों की जुबान पर एक ही सवाल है कि सिंधिया की जगह उच्च सदन (Rajya Sabha Seat) में बीजेपी किसे भेजेगी? लोगों का अनुमान है कि बीजेपी इस सीट पर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के किसी बीजेपी के पदाधिकारी को भेज सकती है, तो कुछ राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बीजेपी का कोई बड़ा दिग्गज इस सीट से राज्यसभा भेजा जा सकता है।
नरोत्तम मिश्रा
हालांकि, चर्चा है कि पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा एक ऐसा नाम हो सकते हैं जिस पर पार्टी विचार कर सकती है। वैसे तो नरोत्तम मिश्रा दतिया सीट से विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन संगठन में उनकी अहम भूमिका बनी रही। नरोत्तम मिश्रा को उस सेल का प्रभारी बनाया गया जो प्रदेश बीजेपी में नई सदस्यता लेकर आया। वह लोकसभा चुनाव से पहले चार महीनों में 2 लाख से ज्यादा कांग्रेस कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ पदाधिकारियों को बीजेपी में शामिल करने में सफल रहे।
के.पी. सिंह यादव
वहीं, दूसरा नाम केपी सिंह यादव का है, जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराया था। इस बार के लोकसभा चुनाव में केपी सिंह यादव को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया। उनकी जगह चार साल तक राज्यसभा में रहने वाले सिंधिया को गुना लोकसभा सीट से टिकट दिया गया था, जो केपी सिंह यादव से हारने से पहले सिंधिया ने चार बार जीती थी।
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शाह के बयान से सोच में पड़े लोग
बता दें कि, 26 अप्रैल को गुना में चुनाव प्रचार रैली को संबोधित करते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि केपी सिंह यादव के ‘राजनीतिक भविष्य’ के बारे में किसी को चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है। शाह ने कहा था कि बीजेपी केपी सिंह यादव को बड़ी जिम्मेदारी देगी। केंद्रीय गृह मंत्री शाह के इस बयान को लोग केपी सिंह यादव को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संंकेत के तौर पर देख रहे हैं। लोगों का मानना है कि शायद सिंधिया और यादव के बीच साफ-सुथरी अदला-बदली कर दी जाए। सिंधिया लोकसभा में जाएंगे, जबकि केपी सिंह यादव राज्यसभा में जाएंगे। हालांकि अब देखने वाली बात ये होगी कि बीजेपी किसी चर्चित नेता को राज्यसभा भेजती है या फिर हमेशा की तरह कोई चौंकाने वाला नाम सामने लाएगी।