भोपाल। बचपन से खेल के प्रति रुचि, घर में खेल को लेकर सकारात्मक माहौल। ऐसी खिलाड़ी जिसने घर के आंगन में अपने हाथ से रैकेट थामा तो फिर उसके हर शॉट पर उपलब्धियों और पुरस्कार की बौछार होने लगी। जिसके हाथ से चलाए गए रैकेट की गूंज न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुनी गई। बैडमिंटन के खेल ने उस खिलाड़ी की किस्मत ऐसी बदली कि आज वो किसी पहचान की मोहताज नहीं है, बल्कि देश का हर युवा खेल प्रेमी उसे अपना आइडियल मानता है। हम बात कर रहे हैं पी.वी सिंधु की। जो आज दुनियाभर में एक मिसाल बन गई हैं। दरअसल, आज उनका जन्मदिन….जन्मदिन के मौके पर आज जानते हैं सिंधु के जीवन और करियर के उतार -चढ़ाव के बारे में…(PV Sindhu)

5 जुलाई 1995 को हैदराबाद में जन्म

पी.वी. सिंधु, जिनका पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है, भारतीय बैडमिंटन की दुनिया में एक प्रमुख नाम हैं। उनका जन्म 5 जुलाई 1995 को हैदराबाद, तेलंगाना में हुआ था। सिंधु (PV Sindhu) ने अपने खेल से न सिर्फ भारत का नाम रोशन किया है बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। उनके जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी से जुड़े पहलुओं के बारे में बात करते हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

पी.वी. सिंधु का जन्म एक खेल-प्रेमी परिवार में हुआ था। उनके पिता पी.वी. रमन्ना और मां पी. विजया, दोनों ही वॉलीबॉल के खिलाड़ी थे। सिंधु के पिता को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। खेल का माहौल और माता-पिता के समर्थन ने सिंधु के खेल में रुचि बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सिंधु ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद के ऑक्सिलियम हाई स्कूल से की और बाद में उन्होंने सेंट एन कॉलेज फॉर विमेन से अपनी पढ़ाई जारी रखी। उनके खेल के प्रति समर्पण के कारण उन्होंने अपनी शिक्षा के साथ-साथ बैडमिंटन को भी प्राथमिकता दी।(PV Sindhu)

करियर की शुरुआत

पी.वी. सिंधु ने बहुत कम उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। 8 साल की उम्र में उन्होंने बैडमिंटन को गंभीरता से लेना शुरू किया और उसके बाद पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में प्रशिक्षण लेने की शुरुआत की। गोपीचंद की देखरेख में सिंधु (PV Sindhu) ने अपनी खेल क्षमताओं को निखारा और जल्द ही अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।

अंतरराष्ट्रीय करियर

2012 में सिंधु ने उस समय अपनी पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय सफलता हासिल की, जब उन्होंने एशियन यूथ अंडर-19 चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। उसके बाद उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और शानदार प्रदर्शन किया।

  • 2016 रियो ओलंपिक:  2016 के रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर सिंधु ने भारतीय खेल इतिहास में एक नया अध्याय लिखा। वो ओलंपिक में बैडमिंटन में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इस उपलब्धि ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया और वो देश की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा बन गईं।
  • वर्ल्ड चैंपियनशिप: वहींं, 2019 में, सिंधु ने वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, जिससे वो यह खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इस उपलब्धि ने उनकी स्थिति को अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन में और मजबूत किया।
  • अन्य महत्वपूर्ण टूर्नामेंट: अपने करियर में सिंधु ने कई अन्य प्रमुख टूर्नामेंट जीते हैं, जिनमें सुपर सीरीज, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर शामिल हैं। उनके करियर की हर सफलता ने उन्हें विश्व बैडमिंटन के शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल किया है।

       उपलब्धियां और सम्मान

  • पद्म श्री (2015):यह भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो उन्हें खेल में उनके योगदान के लिए मिला।
  • राजीव गांधी खेल रत्न (2016):भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान, जो उन्हें ओलंपिक में उनके प्रदर्शन के लिए मिला।
  • पद्म भूषण (2020):यह भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो उन्हें उनके खेल में उत्कृष्टता के लिए मिला।

      व्यक्तिगत जीवन

अगर सिंधु के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो वो भी उनके खेल जीवन की तरह ही प्रेरणादायक है। वह अपने परिवार के बहुत करीब हैं         और उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें समर्थन और प्रेरणा दी है। सिंधु ने अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच, परिवार और दोस्तों को दिया          है, जिन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया।

       प्रेरणा और योगदान

पी.वी. सिंधु की कहानी न केवल भारतीय बल्कि विश्व भर के युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने साबित किया है कि कड़ी          मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। सिंधु ने बैडमिंटन के खेल में अपनी पहचान बनाई है         और नए खिलाड़ियों को प्रेरित करने के लिए कई युवा बैडमिंटन कैंप और प्रशिक्षण सत्रों में हिस्सा भी लिया है।