रायपुर: छत्तीसगढ़ी त्योहार तीजा पोरा इस बार 2 सितंबर को मनाया जाएगा। पोला से पहले ही राजधानी के बाजारों में मिट्टी के बर्तन, जांता और बैल सजाए गए। पोला पर्व पर किसान बैलों की विशेष रूप से पूजा करते हैं। इस अवसर पर बैलों का श्रृंगार किया जाता है। कहीं-कहीं बैल दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है, ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पोला त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, वहीं शहरी क्षेत्रों में धीरे-धीरे इसकी रौनक कम होती नजर आ रही है। रायपुर के कुम्हार और फुटकर व्यापारियों का कहना है कि बीते 2-3 साल से खरीदारी कम हो रही है।(Pola Festival)
खासतौर पर पोला त्यौहार के लिए बनाए जाते हैं बैल
कालीबाड़ी स्थित एक दुकान के संचालक ने बताया कि पिछले लगभग 50 साल से कुम्हारों से मिट्टी के बैल, बर्तन लाकर बेंचते हैं। उनका कहना है कि कुम्हार परिवारों से बैल की खरीदी की जाती है। ये बैल विशेष रूप से पोला के लिए तैयार कराए जाते हैं। पूरे शहर में इस डिजाइन और आकार के बैल मिलना संभव नहीं है। दुकान में डिजाइनर मिट्टी के बर्तन, मिट्टी और लकड़ी के बैल उपलब्ध हैं। जिसमें बर्तन के एक सेट की कीमत 150 रुपए तय है, वहीं लकड़ी के बैल 100 रुपए से 150 रुपए तक बेच रहे हैं। जबकि मिट्टी के बैल की कीमत 120 रुपए जोड़ी से 600 रुपए जोड़ी तय की गई है।(Pola Festival)
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कम होता जा रहा पोला त्योहार का उत्साह
प्रदेश में बीते 5-6 साल में पोला त्योहार का उत्साह कम होता जा रहा है। जहां लोग मिट्टी के बर्तन से स्टील और मिट्टी के बैल, जांता से लेकर लकड़ी के बैल खरीदना अधिक पसंद कर रहे हैं। इस परिवर्तन के कारण मिट्टी के वस्तुओं की खरीदी कम हो रही है। दुकान में मिट्टी के बैल, जाता और बर्तन उपलब्ध हैं, जिसकी कीमत 100 रुपए से शुरू होकर 300 रुपए तय है। जबकि मिट्टी के बैल की कीमत आकार के हिसाब से तय की जाती है। उनका कहना है कि कल त्योहार है तो आज ख़रीदी तेज होने की उम्मीद है।