भोपाल। मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग में उर्दू और फारसी आदि अन्य भाषाओं के प्रचलित शब्दों के स्थान पर हिंदी के शब्द लिखे जाएंगे। इसके लिए मध्यप्रदेश पुलिस विभाग द्वारा नया शब्दकोश तैयार किया गया है। नए शब्दकोश में उर्दू -फारसी और अन्य भाषाओं के 65 शब्द हटाए जाएंगे। इस आशय का आदेश शासन की ओर से पुलिस विभाग को जारी कर दिया गया है।
अब उर्दू– फारसी के शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा। पुलिस की लिखा पढ़ी और बोल चाल की शब्दाबली में तब्दीली हुई है। उर्दू – फारसी और अन्य भाषाओं के 65 शब्द हटाए जाएंगे।
ये उर्दू शब्द बदल जाएंगे
ताजिरात-ए-हिंद : भारतीय दंड संहिता
जाप्ता फौजदारी : दंड प्रक्रिया संहिता
अदालत : न्यायालय
कैदखाना : बंदी गृह
हाजिर/गैरहाजिर : उपस्थित/अनुपस्थित
तफ्तीश/तहकीकात : अनुसंधान/जांच
तहरीर : लिखित/लेखीय विवरण
इस्तगासा : दावा, परिवाद
इरादतन : साशय
कब्जा : आधिपत्य
कत्ल/कातिल/कतिलाना : हत्या,वध/हत्यारा/प्राणघातक
गुजारिश : प्रार्थना, निवेदन
गिरफ्तार/हिरासत : अभिरक्षा
नकबजनी : गृहभेदन, सेंधमारी
चश्मदीद गवाह : प्रत्यक्षदर्शी, साक्षी
बयान : कथन शेष | पेज 14 पर
फरियादी : आवेदक, शिकायतकर्ता
हलफनामा : शपथ पत्र
फैसला : निर्णय
फौत : मृत्यु
सजा/बरी : दोषसिद्ध/दोषमुक्त
मुकीम : रुकना, ठहरना
माकूल : उचित
मुल्जिम/मुजरिम : आरोपी/अपराधी
अदम चैक : असंज्ञेय, पुलिस हस्तक्षेप, अयोग्य अपराध की सूचना
जुर्म, (जरायम) दफा : अपराध, धारा
आमद/रवाना : रवानगी आगमन, प्रस्थान
इजाफा : वृद्धि, बढ़ाना
कायमी : पंजीयन
कैफीयत/मजनून/तफसील : विवरण, विस्तृत विवरण
इत्तिला/इत्तिलान : सूचना/सूचनार्थ इमरोजा : आज दिनांक
इमदाद : मदद सहायता
तामील/अदम तामील : सूचना/सूचित न होना
म्याद : समय सीमा, अवधि
खारिज/खारिजी : रद्द निरस्त/निरस्तीकरण
खून आलूदा : रक्त रंजित, रक्त से सना हुआ
खैरियत : कुशलता
गवाह/गवाहन : साक्षी/साक्षीगणद्य
जमानत/मुचलका : प्रतिभूति/बंध पत्र
जप्त : अभिग्रहण, अधिग्रहण
जरिए : माध्यम
तहत : अंतर्गत
जख्म/जख्मी/मजरूब : चोट, घाव/घायल, आहत
ताकीद/हिदायत : चेतावनी, समझाइश
तफतीश कुनिंदा : विवेचक, अनुसंधानकर्ता, अन्वेषक
तब्दील : परिवर्तित, परिवर्तन
थाना हाजा : आरक्षी केंद्र पर उपस्थित
दस्तावेज : प्रपत्र अभिलेख
दस्तयाब : खोज लेना, बरामद
दीगर : अन्य दूसरा
मौका-ए-वारदात : घटनास्थल
नजीर : दृष्टांत
परवाना : परिपत्र, अधिपत्र
मशरुका : संपत्ति मुतफर्रिक : विविध
मर्ग : अकाल मृत्यु
मंजूरशुदा : स्वीकृत
शिनाख्त : पहचान सहवन : भूलवश, त्रुटिवश
सबूत : साक्ष्य, प्रमाण
सकुनत/साकिन : पता/निवास
संगीन : गंभीर
हिकमत अमली : विवेकानुसार
हमराह : साथ में
हस्ब जेल : उपरोक्तानुसार, के अनुसार
आला जरब, आला जरर, आला ए कत्ल : घटना, अपराध या हत्या में प्रयुक्त हथियार
गोशवारा : नक्शा
दस्तंदाजी/अदम दस्तंदाजी : संज्ञेय/असंज्ञेय
बीजेपी के पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने मध्य प्रदेश विधानसभा में दो वर्ष पहले इस मुद्दे को उठाया था। यशपाल सिंह सिसोदिया का कहना है की 1896 के समय से पुलिस विभाग में ये शब्द इस्तेमाल हो रहे थे। बोल चाल की भाषा में हिंदी के शब्द नहीं हैं। लोगों का नाम हिंदी में पड़ता है कई शब्द ऐसे है जो समझ नहीं आते है। इसलिए इन्हें बदलना बेहद ज़रूरी था।
हालांकि इस मामले पर कांग्रेस सरकार से सवाल पूछ रही है। कांग्रेस का आरोप है की बीजेपी सरकार के पास नाम बदलने के अलावा कोई काम नहीं है। अब पुलिस कार्य प्रणाली में इस्तेमाल होने वाले शब्द भी बदल दिए है। कभी शहर का नाम , स्टेशन का नाम बदल दिया गया। क्या मुजरिम को अपराधी कहने से अपराध ख़त्म हो जाएगा। ज़रूरी है की नाम नहीं काम बदले सरकार।
लम्बे वक़्त से चली आ रही मुहीम आख़िरकार साकार हुई है। अब पुलिस की कार्य प्रणाली में उर्दू शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा। फ़िलहाल ज़रूरी ये भी है की हिंदी के विशिष्ट शब्द भी लोगों की परेशानी न बन जाए।