धार। धार जिले में स्थित ऐतिहासिक स्थान भोजशाला (Mp News) के सर्वे का काम पूरा हो चुका है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इसके सर्वे का आदेश एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) को दिया था। एएसआई इसकी रिपोर्ट आज यानी 2 जुलाई को एमपी हाईकोर्ट की खंडपीठ इंदौर को सौंपेगा। 4 जुलाई को इस मामले में सुनवाई होगी।

इस बीच मुस्लिम पक्ष (Mp News) ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई है। साथ ही इंदौर हाईकोर्ट में भी अवमानना याचिका लगाने की बात बोली है।

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लीगली नहीं हुआ सर्वे

मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि सर्वे लीगल तरीके से नहीं किया गया है। खुदाई के दौरान नियमों के विरुद्ध जाकर गैरजरुरी तोड़फोड़ की गई है। प्रवेश द्वार के दोनों तरफ के ओटले हटा दिए गए हैं। ये हाईकोर्ट की अवमानना भी है।

मुस्लिम पक्ष का कहना है, ‘हमारी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी, जिसमें कोर्ट ने वैज्ञानिक सर्वे करने के लिए कहा था। फिजिकल सर्वे के लिए कोर्ट की ओर से मना किया गया था। लेकिन, इसके उलट भोजशाला में एएसआइ ने फिजिकल सर्वे किया। इससे कोर्ट की अवमानना हुई है।’

‘इसे लेकर हमारी ओर से कोर्ट ऑफ अवमानना फाइल की है। उसमें नोटिस जारी होंगे।‌ सर्वे को करने के लिए लीगल तरीके नहीं अपनाए गए। जिससे कोर्ट की अवमानना हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि सर्वे के आधार पर कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता है।’

जिला प्रशासन की वेबसाइट के मुताबिक परमार वंश के शासक राजा भोज ने 1034 में भोजशाला का निर्माण करवाया था। यह नालंदा और तक्षशिला की तरह ही एक विशाल विश्वविद्यालय था। जहां दूर-दूर से लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे। विश्वविद्यालय के परिसर में वाग्देवी (मां सरस्वती) की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी ने 13वीं ईसवी में मालवा पर आक्रमण कर इस्लामी राज्य की स्थापना की। इसके बाद खिलजी वंश के शासकों ने भोजशाला समेत मध्यप्रदेश के कई धार्मिक व ऐतिहासिक जगहों को नुकसान पहुंचाया। उन्हें मंदिर की जगह मस्जिद में बदल दिया। इसके अवशेष भोजशाल परिसर में स्थित मौलाना कमालुद्दीन मस्जिद में ही रखे हैं। वहीं, वाग्देवी की प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में रखी है।

भोजशाला में मंगलवार को हिंदू पक्ष पूजा-अर्चना कर सकते हैं। वहीं मुस्लिम पक्ष शुक्रवार को नमाज पढ़ने भोजशाला परिसर में आ सकता है। इसके अलावा बसंत पंचमी के अवसर पर हिंदूओं को सरस्वती पूजा के लिए पूरे दिन पूजा करने की अनुमति है।

इस दौरान बनी विवाद की स्थिति

भोजशाला में पूजा और नमाज पढ़ने के दौरान तीन बार विवाद की स्थिति बनी। क्योंकि साल 2006, 2012 और 2016 में शुक्रवार को बसंत पंचमी पड़ी जिससे विवाद की स्थिति पैदा हो गई। क्योंकि दोनों पक्षों में से हिंदू पक्ष को बसंत पंचमी पर पूरे दिन पूजा करने की अनुमति है वहीं इसी दिन मुस्लिमों को भी नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है। ऐसे में दोनों मौके एक ही समय पर पड़ने से विवाद की स्थिति बन जाती है। फिर प्रशासन की समझाइश के बाद पूजा और नमाज दोनों करवाए जाते हैं। अगली बार ये स्थिति दो साल बाद यानी 2026 में बन सकती है।

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