भोपाल। आपातकाल की 50वीं बरसी पर मीसाबंदियों के राज्य स्तरीय सम्मेलन (Mp News) का आयोजन आज सीएम हाउस में होगा। सीएम डॉ. मोहन यादव भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे, जहां वो मीसाबंदियों को सम्मानित करेंगे। दोपहर एक बजे शुरू होने वाले इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से मीसाबंदी एकत्रित होंगे।
बता दें कि इस कार्यक्रम के लिए सीएम डॉ. मोहन यादव दिल्ली से भोपाल (Mp News) लौटेंगे। वो दोपहर 1 बजकर 15 मिनट के लगभग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद वह शाम 4 बजे वापस दिल्ली लौट जाएंगे, जहां वह सांसदों के डिनर कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
इससे पहले मंगलवार को भोपाल (Mp News) स्थित बीजेपी प्रदेश कार्यालय में आपातकाल की 50वीं बरसी पर मीसाबंदियों को सम्मानित किया गया। इस दौरान बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा और प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने आपातकाल के काले समय को याद कर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने बताया कि किस तरह इंदिरा गांधी की तानाशाह सरकार ने लोगों को जबरन जेल में डाला, उनके सभी मौलिक अधिकार छीन लिये गए, यहां तक कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता पर भी बैन लगा दिया।
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कौन हैं मीसाबंदी?
1971 के मीसा कानून यानी आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (Maintenance of Internal Security Act) में आपातकाल के समय इंदिरा गांधी सरकार ने कई संसोधन किए और विरोधियों को जेल भेज दिया। आज उसी मीसा कानून के तहत जेल गए मीसाबंदियों का सम्मान बीजेपी कर रही है। इसके अलावा तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने भारत रक्षा नियम-1971(Defence of India Rules-1971) के तहत भी लोगों को जेल में भेजा था। जिन्हें डीआईआर बंदी कहा जाता है।
मीसाबंदियों को किया गया प्रताड़ित
आपातकाल के दौरान मीसा और डीआरआई कानून के तहत एक लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान देश की सभी जेलें मीसाबंदियों से फुल हो गई थीं। सरकार ने नागरिकों के अधिकार तो पहली ही खत्म कर दिए थे, मीसा के तहत लोगों को, उनके परिवारों को बहुत प्रताड़ित किया गया। उनकी संपत्ति छीन ली गई।
1971 में बने इस कानून में आपातकाल के दौरान इतने कड़े प्रावधान कर दिये कि अदालत में उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। मीसा के तहत जेल गए कई बंदी तो ऐसे थे जो आपातकाल के 21 महीनों में पूरे समय जेल में रहे।
मीसा कानून के तहत जेल गए विपक्षी नेताओं में लालू यादव भी शामिल थे। जिस समय वो जेल में थे उस दौरान उनकी बड़ी बेटी का जन्म हुआ। इसी कानून के नाम पर उन्होंने अपनी बेटी का नाम मीसा रखा। बता दें कि इस कानून के तहत जयप्रकाश नारायण, मोरारीजी देसाई, अटल बिहारी बाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडिस, एलके आडवाणी, शरद यादव, अरूण जेटली समेत कई जेल गए थे।
जेल में इंदिरा सरकार को हटाने की रणनीति
आपातकाल का विरोध करने वाले विपक्षी नेताओं ने मीसाबंदी के रूप में जेल में यातनाएं जरूर झेलीं लेकिन इंदिरा सरकार को हटाने की रणनीति भी यहीं से बनी। जयप्रकाश नारायण से लेकर चंद्रशेखर, आडवाणी, अटल बिहारी बाजपेयी और लालू यादव समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने एक होकर सत्ता धारी दल को बेदखल करने का प्लान तैयार किया।
जेल से बाहर आने के बाद मोरारीजी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने जनता पार्टी का गठन किया। चुनाव में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और सरकार बनाई। पीएम इंदिरा गांधी खुद चुनाव हार गईं। 300 के पार रहने वाली कांग्रेस केवल 153 सीटों पर सिमट गई। देश की इस पहली गैर कांग्रेसी सरकार में मोरारीजी देसाई प्रधानमंत्री बने। अपने गठन के तुरंत बाद ही जनता पार्टी सरकार ने इस दमनकारी कानून ‘मीसा’ को हटा दिया।