छोटे दलों से किसका फायदा…नुकसान, बीजेपी को क्यों हो रहा फायदा ? लोकसभा चुनाव में हो रहा सुपड़ा साफ
भोपाल, मनोज राठौर। मध्यप्रदेश में छोटे दलों के खत्म हो रहे जनाधार से किस पार्टी को फायदा हो रहा है। और किस पार्टी को नुकसान। इस खिसकते जनाधार से आखिर कांग्रेस क्यों टेंशन में है और बीजेपी क्यों इसे अपने पक्ष में मान रही है। इस समीकरण को जानने के लिए देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट…
प्रदेश में लोकसभा चुनाव के अंदर छोटे दलों का जनाधार घिसकता जा रहा है। उनके वोटिंग प्रतिशत में आ रही गिरावट से किसी न किसी दल को फायदा हो रहा है। प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में छोटे दलों को सुपड़ा साफ हो गया। अब लोकसभा चुनाव में भी यही स्थिति नजर आ रही है। चुनावी आंकड़ों की बात करे, तो 1996 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय और अन्य का मत प्रतिशत करीब 17.5 था जो अब घटते हुए अब चार पर आ गया है। प्रदेश में बसपा, सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का मत प्रतिशत भी लगातार गिरा है। प्रदेश में निर्दलीय उम्मीदवारों को 2019 के चुनाव में 1.9 % वोट मिले थे, जबकि 2014 में 1.8 प्रतिशत वोट मिले थे। 2019 के चुनाव में 80 दलों ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे।
एमपी में निर्दलीय समेत अन्य दलों का वोटिंग प्रतिशत
चुनाव – वोटिंग प्रतिशत
1996- 17.57 %
1998- 3.35 %
1999- 2.54 %
2004–6.29 %
2009–6.70 %
2014– 4.2 %
2019– 4.31 %
छोटे सियासी दलों को लेकर प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता मिलन भार्गव ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। उन्होंने बसपा को लेकर कहा कि जहां से ये पार्टी आती है, वहां वो खत्म हो गई है और प्रदेश में उसका जनाधार नहीं बचा है। इससे प्रदेश में बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जनता ने ऐसे दलों की राजनीति को नाकार दिया है।
विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार हर चुनाव में चार से आठ निर्दलीय उम्मीदवार जीतकर आए हैं। इन निर्दलीय उम्मीदवारों ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया। 1989 के लोकसभा चुनाव में कंकर मुंजारे बालाघाट से निर्दलीय लोकसभा चुनाव जीते थे। अब वह कांग्रेस में हैं। इनके अतिरिक्त बसपा के परंपरागत मतदाता भी टूट रहे हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीयों को मिले मत
स्टेट – वोटिंग प्रतिशत
तमिलनाडु – 7.2 %
जम्मू-कश्मीर – 6 %
बिहार – 5.2 %
झारखंड – 4 %
असम – 4.2 %
केरल – 4.0 %
महाराष्ट्र – 3.7 %
तेलंगाना – 3.0 %
गुजरात – 2.18 %
मध्य प्रदेश – 1.9%
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने बहुजन समाजपार्टी को लेकर कहा कि प्रदेश से उनका जनाधार समाप्त हो चुका है। अब उनकी लड़ाई कांग्रेस लड़ती है। बसपा हर मामले में पीछे है। वे सिर्फ समाज की राजनीति करती है उन्होंने कहा कि बसपा जैसी पार्टी बीजेपी के लिए काम करती है। हमने अपने गठबंधन में किसी भी दल को आने से मना नहीं किया। लेकिन कई दल बीजेपी के दबाव में है।
मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में छोटे दलों के खत्म होते वर्जस्व का फायदा बीजेपी को हो रहा है। कांग्रेस इससे जरूर टेंशन में है। ये सभी वे दल है, जो हमेशा से कांग्रेस के साथ थे। प्रदेश की बदलती सियासत में इन दलों को जनता ने नाकार दिया है। ऐसे में सियासी जानकारों का मानना है कि इस लोकसभा चुनाव में इन सियासी दलों का सुपड़ा साफ हो जायेगा।