भोपाल। मोदी के मन में एमपी और एमपी के मन में मोदी,  ये नारा है मध्यप्रदेश बीजेपी का जो विधानसभा चुनाव के बाद से बीजेपी एमपी में लगातार बुलंद कर रही है। और अब लोकसभा चुनाव की कमान एमपी में एक बार फिर मोदी ने अपने हाथ में ले ली है, और अभी अप्रैल महीना पूरा भी नहीं हुआ और मोदी के एमपी में 5 दौरे हो चुके हैं। देखिए क्या है मोदी के ताबड़तोड़ एमपी के दौरे के पीछे बीजेपी का प्लान…

– ‘एमपी के मन में मोदी’, फिर गूंज रहा प्रदेश की सियासत में नारा

– एक महीने में प्रधानमंत्री के एमपी में 5 दौरे

– मिशन एमपी में क्लीन स्वीप की मोदी ने संभाली कमान

– जीत का मार्जिन बढ़ाने एमपी बार-बार एमपी आ रहे मोदी

– जबलपुर और भोपाल जैसे बीजेपी के गढ़ में मोदी रोड शो में बना रहे प्रचंड जीत का माहौल

– बड़ी सभाओं से नहीं बल्कि मोदी मौन रहकर बना रहे माहौल

 

मोदी के मन में एमपी के नारे के साथ बीजेपी ने 5 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में 163 सीटों के प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज की, और फिर नारा बुलंद किया गया एमपी के भी मन में मोदी। सीधा अर्थ था कि बीजेपी ने जीत का पूरा क्रेडिट प्रदेश नेतृत्व के बदले मोदी के नाम पर हुए कैंपेन को दिया। अब एक बार फिर चुनाव की बेला आ गई है, और जाहिर तौर पर चुनाव लोकसभा का है तो एक बार फिर चुनावी जीत की कमान मोदी ने खुद संभाल रखी है। हालांकि मध्यप्रदेश में बीजेपी के पास हासिल करने के लिए पिछले लोकसभा चुनाव के बाद एक सीट और 28 सीटों पर जीत के मार्जिन को बढ़ाना,  ये दो सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में बीजेपी चुनावी प्रचार के लिए दो तरह की रणनीति पर काम कर रही है,  एक हारी हुई लोकसभा यानि छिंदवाड़ा के साथ विधानसभा चुनाव के समय छिटकी विधानसभाओं पर जहां पार्टी के दिग्गज नेताओं के लगातार दौरे हो रहे हैं।अमित शाह, राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ पार्टी के सबसे विश्वासपात्र सेनापति कैलाश विजयवर्गीय डेरा डाले रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ प्लान भोपाल, जबलपुर और सागर समेत दूसरी ऐसी सीटें जहां लगातार बीजेपी जीत के झंडे गाड़ते रही है, उन सीटों के लिए वोट मार्जिन बढ़ाने का अलग प्लान है। इन सीटों पर खुद पीएम मोदी प्रचार करने आ रहे हैं।

अप्रैल में मोदी के 5 दौरे, बीजेपी के 5 मजबूत गढ़ों में…

7 अप्रैल जबलपुर में रोड शो

– जबलपुर में 27 साल से नहीं देखा बीजेपी ने हार का मुंह

– 2019 में राकेश सिंह अकेले को मिले थे 65% वोट

9 अप्रैल बालाघाट  में जनसभा

– जनसंघ और बीजेपी दोनों के लिए बालाघाट ने खोले जीत के दरवाजे

– पिछले 5 चुनाव में नहीं खुला कांग्रेस का खाता

– पिछले चुनाव में भाजपा के डॉ. ढाल सिंह बिसेन को मिले 50.74% वोट

14 अप्रैल होशंगाबाद में जनसभा

– 10 में से 8 लोकसभा चुनाव में बीजेपी का रहा बोलबाला

– पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राव उदय प्रताप सिंह को 70% वोट शेयर मिला

19 अप्रैल दमोह में जनसभा

– 35 साल से नहीं खुल सका काँग्रेस का खाता

– 2019 में बीजेपी से प्रह्लाद सिंह पटेल को 60.91% वोट मिले थे

24 अप्रैल सागर में जनसभा

– 1996 से लगातार सागर लोकसभा बीजेपी का अभेद्य गढ़ बना है

– 2019 में बीजेपी से राजबहादुर सिंह को 62.84% वोट शेयर मिला

24 अप्रैल भोपाल में रोड शो

– 3 दशक से बीजेपी का अभेद्य किला

– 2019 में काँग्रेस से दिग्विजय सिंह की लगभग 4 लाख वोट से हारे

24 अप्रैल बैतूल में जनसभा

– 1996 से लगातार सागर लोकसभा बीजेपी का अभेद्य किला बना है

– दुर्गादास उईके ने 60% से ज्यादा वोट शेयर हासिल किया, उईके बीजेपी के मौजूदा प्रत्याशी भी हैं

बीजेपी ने प्रचार की रणनीति काफी हद तक बदली है खासतौर पर पीएम मोदी के प्रचार को लेकर बीजेपी की रणनीति बदली बदली नजर आ रही है। मोदी अब बीजेपी के गढ़ पर आकार बोलते कम और वोटर को प्रत्याशियों के लिए जोड़ते ज्यादा हैं। रोड शो पर जोर दिया जा रहा है, यानि मोदी साफ संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वो जनता के बीच बेखौफ निकल रहे हैं और उनसे सीधे जुड़ रहे हैं। इसका सीधा -सीधा उद्देश्य है पिछली बार की जीती हुई सीटों पर इस बार जीत का मार्जिन बढ़ाना।

चुनाव के पहले हुए बीजेपी के अधिवेशन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर में बीजेपी को बड़ा टारगेट सेट कर दिया था। यानि 10 पर्सेन्ट वोट बढ़ाने का टारगेट,  और देशभर में 400 पार का टारगेट। बीजेपी ने भी मोदी के कहे अनुसार तैयारियां तेज कर दी थी,  एमपी में पार्टी ने 29 में से 29 सीटों पर जीत के साथ 2019 के 58 पर्सेन्ट वोट शेयर को 68 से 70 पर्सेन्ट तक पहुँचने का निश्चय किया,  और खुद मोदी भी इस मिशन की तामीर में जुट गए हैं। दूसरी तरफ पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव की जीत के बाद बीजेपी मध्यप्रदेश की सभी सीटों को अपने खाते में मानकर चल रही है,  और अब वोट शेयर बढ़ाने की लड़ाई लड़ रही है।