नरसिंहपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर आज पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। बापू की स्मृति में आज हम आपको एक ऐसे ही स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने बापू की स्मृतियों को जस का तस संजोकर रखा है। वैसे तो स्कूलों में बापू के विषय में पढ़ाया और उनके मार्ग पर चलने के लिए बताया जाता है, लेकिन आज हम आपको जिस स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं वहां आज भी गांधी टोपी को पहना जाता है। गांधी टोपी यहां स्कूल यूनिफाॅर्म में शामिल है और बच्चे हर रोज इसे पहनकर जाते हैं।
गांधी बाबा की देन
महात्मा गांधी के सम्मान में गांधी टोपी के उपयोग परम्परा को निभाने वाला गांव नरसिंहपुर से करीब 8 किलोमीटर दूर बसा है। सिंहपुर के नाम से प्रसिद्ध इस गांव के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आज भी छात्र गांधी टोपी पहनते हैं। ये इनके स्कूल यूनिफॉर्म में ही शामिल है। जो कि सबसे अलग और आकर्षक है। यहां के छात्र इसे (गांधी बाबा) महात्मा गांधी की देन मानते हैं।
स्वतंत्रता की अलख जगाई
शिक्षक एस के शर्मा ने बताया कि असहयोग आंदोलन के समय गांधीजी जब देशभ्रमण कर रहे थे, तब वे सिंहपुर गांव से भी गुजरे थे। उन्होंने गांव में स्वतंत्रता की अलख जगाई। गांधीजी की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए ग्रामीणों ने गांधी टोपी पहनना शुरु कर दिया और बाद में अपने बच्चों को टोपी पहनाकर ही स्कूल भेजने लगे। इस परंपरा ने स्कूल ही नहीं बल्कि पूरे गांव को अलग पहचान दी है।
बसी हैं यादें
वक्त की आंधी ने करवट बदली और गांधी टोपी का दौर लगभग खत्म हो गया। शिक्षित वर्ग कई बार इसे पहनना अजीब महसूस करता है। लेकिन इस स्कूल में बच्चों और शिक्षकों के लिए ये गौरवांवित करने वाला है। उनका कहना है इस तरह वे रोज ही बापू को याद करते हैं। गांधीजी की के सम्मान में स्कूल में कई सालों तक चरखा भी चलाया जाता रहा। यहां पुराने चरखे अभी भी रखे हैं।
1844 में हुई थी स्थापना
बताया गया है कि सिंहपुर शासकीय स्कूल की स्थापना 1844 में हुई थी। 179 साल पुराने स्कूल में यहां की परंपरा नही बदली। यहां सब कुछ वैसा ही है जैसा स्थापना के समय था। स्वच्छता और शिक्षक व छात्रों का समर्पण लोगों को अभिभूत कर देता है। स्कूल में सन् 1942 से लेकर आज तक गांधी टोपी पहनकर पढ़ाई करने की इस पंरपरा अनवरत जारी है। शिक्षकों का कहना है कि वे इस गौरव को सदा कायम रखेंगे।