रतलाम। दीपोत्सव के लिए भक्तों द्वारा दी गई नकदी, जेवर आदि से माणकचौक स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर में श्रृंगार हो गया है। धनतेरस पर मंगलवार से ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के पट खोल दिए गए हैं।(Mahalaxmi Temple)
भाई दूज तक दर्शन कर सकेंगे भक्त
इसके बाद भक्त भाई दूज तक लगातार दर्शन कर सकेंगे। इससे पहले सोमवार देर रात तक श्रृंगार का कार्य चलता रहा। खास बात यह है कि मंदिर से चार साल बाद समृद्धि पोटली यानी कि कुबेर पोटली का वितरण भी सुबह से शुरू हो गया है।(Mahalaxmi Temple)
श्रृंगार के लिए सामग्री देते हैं श्रद्धालु
दरअसल, महालक्ष्मी मंदिर में हर साल श्रद्धालु अपनी ओर से श्रृंगार के लिए सामग्री देते हैं, जो भाई दूज के बाद वापस कर दी जाती है। जिसके बाद नोटों, जेवरों, हीरे-मोती, रत्न आदि से होने वाले विशेष श्रृंगार को देखने देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसको लेकर मंदिर में सुरक्षा के भी विशेष इंतजाम किए जाते हैं।मंदिर परिसर में खास तौर पर गर्भगृह को विशेष रूप से सजाया जाता है।(Mahalaxmi Temple)
धन त्रयोदशी से पांच दिवसीय दीप पर्व का हुआ शुभारंभ, महाकाल को चांदी के सिक्के अर्पित कर हुई महापूजा
मान्यता है कि मंदिर से मिलने वाली समृद्धि पोटली (कुबेर पोटली) को तिजोरी में रखने से सालभर व्यापार, घर, परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। श्रृंगार सामग्री भी इसी भाव से श्रद्धालु देते हैं। पोटली में एक सीपी, कोडी, एक रुपए का सिक्का, कमल गट्टा, छोटा शंख, अक्षत होते हैं जो लच्छे से बंधे लिफाफे में होते हैं।