मदरसा…ये वो शब्द है जिसकी  इन दिनों मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में खासी चर्चा हो रही है। चर्चा भी ऐसी जिसमें कुछ लोग इस शब्द को लेकर निशाना साध रहे हैं तो कुछ इस मदरसे (Madrasa controversy)  के नाम पर अपनी सियासी रोटियां सेंकने का काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह की एक मांग से कभी डॉ राजेंद्र प्रसाद, राजा राम मोहन राय, मुंशी प्रेमचंद की प्राथमिक पाठशाला रहा ये मदरसा आज सियासत का केंद्र बन गया है।

मदरसा विवाद पर स्कूल शिक्षा मंत्री का बयान

हालांकि, मदरसे विवाद पर प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह का बयान भी आ गया है। उनका कहना है कि जब से मैं मंत्री बना हूं हम लगातार मदरसों (Madrasa controversy) की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। मदरसों में क्या परिस्थितियां हैं, कौन शिक्षा प्राप्त कर रहा है? क्या शिक्षा दी जा रही है, और क्या- क्या सिलेबस पढ़ाए जा रहे हैं उसकी जांच की जा रही है। मंत्री ने कहा कि व्यवस्थित आंकड़े आने के बाद अगर जरूरत होगी तो कार्रवाई की जाएगी।

मंत्री विजय शाह की मांग के बाद चर्चा ने पकड़ा जोर

बता दें कि, 18 जून को सीएम मोहन यादव स्कूल चलें हम अभियान के कार्यक्रम में मौजूद थे। जहां सरकार में मंत्री विजय शाह ने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी सरकारी, प्राइवेट स्कूलों और मदरसों में झंडा वंदन और जन-गण-मन राष्ट्रगान को अनिवार्य किया जाए।जिसके बाद से मदरसे की चर्चा को बल मिला।

एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो का सरकार से अनुरोध

इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी शुक्रवार (14 जून) को मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार से मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू बच्चों को सामान्य स्कूलों में भेजने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि ये इस्लामी संस्थान शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के अंतर्गत नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में 1,755 पंजीकृत मदरसों में 9,417 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं और इन संस्थानों में आरटीई अधिनियम के तहत अनिवार्य बुनियादी ढांचे का अभाव है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद और राजा राम मोहन राय की शिक्षा भी मदरसे में हुई

मदरसों में शिक्षा पाने वालों में समाज सुधारक राजा राम मोहन राय, लेखक मुंशी प्रेमचंद और भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद समेत कई नामचीन हस्तियां रहीं हैं। इन नामचीन हस्तियों का देश में और समाज में बहुत बड़ा योगदान रहा है। जिन्होंने समाज के हित में बहुत से काम किए हैं और लोगों ने उनके योगदान को सराहा भी है।

कानूनगो ने मदरसे के बुनियादी ढांचे को कमजोर बताया

मामले पर एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के अनुरोध को अगर ध्यान से पढ़ा जाए, तो ये साफ हो जाता है कि उनका अनुरोध सिर्फ इसलिए है क्योंकि उनके मुताबिक मदरसों का बुनियादी ढांचा कमजोर है। हालांकि उनका अनुरोध अगर बुनियादी ढांचे को मजबूती देने को लेकर होता तो शायद उनके इस अनुरोध की हर वर्ग सराहना भी करता।

सुर्खियां बटोरने का चल रहा ट्रेंड

अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे में कंप्यूटर वाले सपने का कोई जिक्र भी नहीं करता। आज सियासी गलियारों में अपने बयानों को लेकर सुर्खियां बटोरने का जो ट्रेंड चल रहा है वो स्वच्छ समाज के लिए ठीक नहीं है।

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मदरसों को मॉडरेट करने की जरूरत

आज जब मदरसों को मॉडरेट और आधुनिक बनाने की जरूरत है। तब उससे वर्ग विशेष के बच्चों को हटाकर दूसरे स्कूलों में पढ़ाने पर चर्चा की जा रही है। समाज को स्वच्छ और स्वस्थ चर्चा की जरूरत है ताकि मदरसों को ऐसा बना दिया जाए जिससे कि वहां पढ़ने वाले बच्चे आगे चलकर डॉ राजेंद्र प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद और समाज सुधारक राजा राम मोहन राय बन सकें।