मंडला
मध्यप्रदेश जनजातीय कला और संस्कृति से समृद्ध है। प्रदेश के अलग-अलग जनजातीय इलाकों में कई तरह की प्रथाएं और परंपराएं देखने मिलती हैं, जो कभी आश्चर्यचकित करती हैं तो कई बार रिसर्च का विषय भी बन जाती हैं। मध्यप्रदेश अपनी सांस्कृतिक समृद्धता के लिए भी दुनियाभर में फेमस है। आज हम आपको एक ऐसी ही प्रथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने गोदना के नाम से जाना जाता है।
प्रदेश के मंडला जिले में बैगा समुदाय में यह प्रथा मुख्यरूप से प्रचलित है। समुदाय की महिलाएं और पुरूष दोनों ही गोदना बनवाते हैं। कई तो पूरे शरीर पर ही गोदना बनवा लेते हैं। जिनमें अलग-अलग तरह की आकृतियां बनीं होती हैं।
मानते हैं शुभ
समुदाय की युवतियों में गोदना का चलना बहुत अधिक देखने मिलता है। ये कम उम्र से ही गोदना बनवाना शुरू कर देते हैं। युवा होते-होते शरीर के लगभग पूरे हिस्से पर गोदना बन जाते हैं।
समुदाय में गोदना का प्रचलन आम है, लेकिन इसे देवी-देवताओं को प्रसन्न करने का माध्यम भी माना जाता है। जिस युवती के शरीर पर जितने अधिक गोदना होते हैं उसे उतना ही अधिक शुभ माना जाता हैं। ऐसी युवतियों के लिए विवाह के अनेक प्रस्ताव आने लगते हैं।
देवी-देवताओं की आकृतियां
शरीर पर बनने वाले गोदना में देवी-देवताओं की आकृतियां होती हैं। कई लोग पेड़, फूल, पत्तियां आदि भी बनवाते हैं। यह भी प्रकृति को संदेश देता है। ये लोग मुख्य रूप से दूल्हा देव, बड़ा देव आदि की पूजा करते हैं।