उज्जैन। महाकाल मंदिर में मंगलवार को धन त्रयोदशी से पांच दिवसीय दीप पर्व का शुभारंभ हुआ। इस दौरान पुरोहित समिति द्वारा भगवान महाकाल को चांदी के सिक्के अर्पित कर महापूजा की गई।(Dhanteras Puja)
महापूजा के लिए बनवाए गए हैं सिक्के
समिति के अध्यक्ष पंडित लोकेश व्यास ने बताया कि महापूजा के लिए विशेष तौर पर चांदी के सिक्के बनवाए गए हैं। देश और प्रदेश के साथ ही नगर में सुख समृद्धि की कामना से भगवान को चांदी का सिक्का अर्पित कर पूजा अर्चना की गई है। राजा पर न्योछावर किए सिक्के समिति सदस्यों को वितरित किए जाएंगे। इस दिन मंदिर के सभी पुरोहित घर पर इन्हीं सिक्कों की पूजा करते हैं। इतना ही नहीं 31 अक्टूबर को दीपावली और 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा होगी। दीप पर्व के लिए मंदिर में आकर्षक विद्युत रोशनी और पुष्प सज्जा की जाएगी।(Dhanteras Puja)
रूप चतुर्दशी पर दीपावली मनाने की परंपरा
महाकाल मंदिर में रूप चतुर्दशी पर दीपावली मनाने की परंपरा है। इस बार 31 अक्टूबर को सुबह 4 बजे भस्म आरती में दीपावली मनाई जाएगी। भस्म आरती करने वाले पंडित महेश पुजारी ने बताया, लौकिक जगत में भगवान महाकाल उज्जैन के राजा माने जाते हैं।(Dhanteras Puja)
चतुर्दशी पर मनाई जाती है दीपावली
सनातन धर्म परंपरा का कोई भी त्योहार हो, सबसे पहले राजा के आंगन में मनाया जाता है। इसलिए मंदिर में अमावस्या की जगह चतुर्दशी पर दीपावली मनाई जाती है। इस दिन उबटन लगाकर रूप निखारने की परंपरा है। राजा को सबसे पहले केसर चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया जाता है। उसके बाद नए वस्त्र और सोने चांदी के आभूषण धारण कराकर विशेष श्रृंगार किया जाता है। फिर भगवान को अन्नकूट का भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाती है।(Dhanteras Puja)
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महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा ग्राम चिंतामन स्थित वैदिक शोध संस्थान परिसर में गोशाला का संचालन किया जाता है। मंदिर की परंपरा के मुताबिक 2 नवंबर को गोशाला में गोवर्धन पूजा होगी। मंदिर प्रशासक और समिति सदस्यों द्वारा गोवर्धन और गोमाता का पूजन किया जाएगा।