भोपाल।  जब से मध्य प्रदेश की कमान मुख्यमंत्री मोहन यादव के हाथ में आई है। तब से मध्य प्रदेश में निवेश और औद्योगिक क्षेत्र में तरक्की कर रहा है। लगातार देश-विदेश से निवेश आ रहा है। रोजगार की दृष्टि से रीजनल इंडस्टी कॉन्क्लेव का आयोजन भी लगातार किया जा रहा है। हाल ही में उज्जैन, जबलपुर में संपन्न हुई रीजनल कॉन्क्लेव समिट के बाद अब प्रदेश की सांस्कृतिक, शैक्षिक, खेल और कला के क्षेत्रों में कई कीर्तिमानों को सहेजे ऐतिहासिक नगरी ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया विश्वविद्यालय में 28 अगस्त को रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव होने जा रहा है।(Conclave)

देश-विदेश के उद्योगपति होंगे शामिल

इस कॉन्क्लेव में देश-विदेश के उद्योगपति क्षेत्र की कई विशेषताओं के साथ ही औद्योगिक निवेश के अवसरों को जानेंगे। साथ ही कॉन्क्लेव में शामिल उद्योगजगत की हस्तियों से निवेश को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. यादव वन टू वन चर्चा भी करेंगे।(Conclave)

विशेष है ग्वालियर का जीआई टैग कालीन

हस्तशिल्प उत्पाद में ग्वालियर का कारपेट विशेष स्थान रखता है। ग्वालियर का कारपेट को 175वां जीआई टैग मिला हुआ है, जिससे इसकी पहचान देश ही नहीं विदेशों में भी बनी हुई है। इस वजह से कालीन इंडस्ट्री का तेजी से विकास हुआ है। इसका बड़ी संख्या में विदेशों में निर्यात किया जा रहा है।(Conclave)

सेंड स्टोन की भी देश-विदेश में है भारी मांग

ग्वालियर में प्राकृतिक सम्पदाएं भी बड़ी मात्रा में हैं, जिसमें सेंड स्टोन एक है। यहां के सेंड स्टोन की विदेशों में बहुत मांग है। ग्वालियर स्थित स्टोन पार्क में लगभग 50 इकाइयों के द्वारा हर साल तकरीबन 68 हजार टन पत्थर दुनिया भर के 100 देशों में भेजा जाता है। लगभग हर साल 68 हजार टन सेंड स्टोन दुनिया में 100 से भी ज्यादा देशों में निर्यात किया जाता है। इस सेंड स्टोन का कारोबार लगभग 800 करोड़ रुपए का सालाना है।(Conclave)

बेहद आकर्षक है ग्वालियर का पत्थर

यह पत्थर न सिर्फ देखने में बेहद आकर्षक है, बल्कि यह विशेष भी है कि, यह पत्थर सर्दियों में न तो अधिक ठंडा होता है और न ही गर्मियों में अधिक गर्म। दुनिया में बहुत ही कम स्थान हैं जहां इस तरह का पत्थर पाया जाता है। सबसे बड़ी बात इस पत्थर में फिसलन बेहद कम होती है। जिसके चलते इसका प्रयोग अधिकांश सीढ़ियों और विदेशों में बन रहे स्विमिंग पूल में किया जाता है। वर्तमान में लोग इसका प्रयोग अपने फार्म हाउस या घर के गार्डन में बने वॉकिंग एरिया के लिए भी कर रहे हैं। इसके अलावा छत के तापमान को सामान्य रखने के लिए भी इस पत्थर को लगाया जा रहा है।(Conclave)

यूनेस्को की ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’ में भी है शामिल

ग्वालियर की विशेषता यहीं नहीं खत्म होती बल्कि संगीत के क्षेत्र में भी ग्वालियर विशेष स्थान रखता है। यहां पर तानसेन और बैजू बावरा समेत कई मशहूर गायक हुए हैं। ग्वालियर का तानसेन समारोह विश्व प्रसिद्ध है। ग्वालियर घराना, ध्रुपद यहां के विशेष शास्त्रीकय गायन हैं। यूनेस्को द्वारा ग्वालियर को ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’ की मान्यता दी गई है। जिससे संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर ने विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है।(Conclave)

विश्वस्तरीय स्टेडियम और खेल संस्थानों में भी शुमार

ग्वालियर में विश्वस्तरीय स्टेडियम और खेल संस्थान भी हैं। यहां विश्व स्तरीय मैच में कई विश्वस्तरीय कीर्तिमान बने हैं। कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम ग्वालियर में एक क्रिकेट मैदान है। जिसमें एक बार में 45 हजार दर्शक बैठ सकते हैं। इस मैदान में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच ऐतिहासिक एक दिवसीय मैच खेला गया था। जिसमें सचिन तेंदुलकर ने एकदिवसीय क्रिकेट में पहला दोहरा शतक बनाया था।(Conclave)

पचमढ़ी में पर्यटन विभाग की अभिनव पहल, महिलाओं को सौंपी जाएगी होटल अमलतास की कमान

एशिया का सबसे बड़ा शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय

इतना ही नहीं, ग्वालियर में लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना केन्द्र सरकार के शिक्षा एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा अगस्त 1957 में स्वतंत्रता संग्राम के शताब्दी वर्ष पर लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय (LCPE) के रूप में की गई थी। यह एशिया का सबसे बड़ा शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय है।