रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल और उनके सलाहकार विनोद वर्मा की परेशानी बढ़ सकती है। दरअसल, सीबीआई ने राज्य के बहुचर्चित अश्लील सीडी मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने की सुप्रीम कोर्ट में दिया गया आवेदन वापस ले लिया है। अब इस मामले की सुनवाई रायपुर में ही होगी। आज से सात साल पहले यानी 2017 में सामने आए इस मामले में भूपेश बघेल और विनोद वर्मा आरोपी हैं, दोनों फिलहाल जमानत पर हैं। (Chhattisgarh News)

आखिर ये सीडी कांड क्या है और पूरे घटनाक्रम में कब क्या हुआ, आइए जानते हैं….

इस मामले की शुरुआत हुई साल 2017 के अक्टूबर महीने की 27 तारीख से। तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने अपने बंगले में सुबह 6 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने वहां आई मीडिया को सीडी बांटी। इस सीडी में एक आपत्तिजनक वीडियो था जिसे लेकर भूपेश ने दावा किया कि इसमें महिला के साथ नजर आने वाला शख्स और कोई नहीं बल्कि तत्कालीन रमन सिंह सरकार में मंत्री राजेश मूणत थे। (Chhattisgarh News)

इसके बाद यह वीडियो स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय न्यूज चैनल पर वायरल होने लगी। वहीं सीडी के सामने आने के बाद मंत्री राजेश मूणत ने इसे फर्जी बताया। साथ ही मुख्यमंत्री से इस मामले की हाईलेवल जांच कराने की मांग की। वहीं बीजेपी ने भी इसे कांग्रेस की साजिश बताया।

सीडी के वायरल होने के बाद सूबे से लेकर देश तक की सियासत गरमा गई। इसके बाद पुलिस ने इस मामले में एक्शन लेते हुए गाजियाबाद से पत्रकार विनोद वर्मा को गिरफ्तार किया। उन पर आरोप लगाया था कि उनके निवास से ही इस वीडियो क्लिप की 500 सीडियां और 2 लाख रुपये जब्त किए गए हैं।

पुलिस ने यह एक्शन प्रकाश बजाज की शिकायत पर लिया था। बता दें कि विनोद वर्मा एक जाने माने पत्रकार रहे हैं। बाद में वो भूपेश बघेल के छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख रहते हुए उनके मीडिया सेल का काम संभाल रहे थे।

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प्रकाश बजाज ने लगाया था ये आरोप

प्रकाश बजाज ने पुलिस में की अपनी शिकायत में विनोद वर्मा पर आरोप लगाया था कि विनोद वर्मा ने उन्हें लैंडलाइन से फोन कहा था कि तुम्हारे आका की एक सीडी मेरे पास है। पैसे दो वरना इसका अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो। प्रकाश की इस शिकायत पर पुलिस ने विनोद वर्मा को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद कांग्रेस ने तत्कालीन रमन सरकार पर आरोप लगाए थे कि वे अपने मंत्री को बचाने के लिए वह एक निर्दोष को फंसा रहे हैं।

सीबीआई को सौंपी जांच

कांग्रेस द्वारा मामले की निष्पक्ष जांच कराने के लिए राज्य सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंपी। सीबीआई की चार्जशीट में दावा किया था कि सीडी को फोरेंसिक विश्लेषण के जरिए प्रमाणित किया गया है, इसे मुंबई की एक एडिटिंग लैब में 1 लाख रूपए देकर तैयार करवाया गया है। सीबीआई ने बताया था कि इस पूरे केस का मास्टर माइंड छत्तीसगढ़ भाजपा नेता कैलाश मुरारका हैं, एक अन्य आरोपी विनय पांड्य और रिंकू खानुजा ने इसमें उनकी सहायता की थी। केस में नाम आने के बाद तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष धर्मलाल कौशिक ने उन्हें पार्टी की प्रारंभिक सदस्याता से बाहर कर दिया था।

कई नाम आए सामने

सीबीआई की जांच में कई नेताओं के नाम सामने आए। जिनमें विजय पंड्या, कैलाश मुरारका, विनोद भाटिया, रिंकू खनुजा और भूपेश बघेल शामिल हैं। इन सभी को सीबीआई ने मामले में आरोपी बनाया। इस मामले ने नया तूल तब पकड़ा जब मामले के एक आरोपी रिंकू खनूजा ने अपने आवास में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। जिसके बाद कांग्रेस ने सरकार को यह कहते हुए घेरा कि रिंकू पर पूछताछ में गलत बयान देने के लिए कहा गया, जिसके दवाब में आकर उसने यह कदम उठाया।

भूपेश बघेल की गिऱफ्तारी

इस मामले में 24 सिंतबर 2018 को भूपेश बघेल समेत अन्य आरोपियों को सीबीआई अदालत में पेश होने के आदेश दिए गए थे। जिसमें शिकायतकर्ता प्रकाश बजाज विनोद वर्मा पर लगे ब्लैकमेलिंग के आरोप को साबित नहीं कर पाए थे। जिसके बाद सीबीआई ने विनोद को जमानत दे दी थी। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने जमानत लेने से इनकार कर दिया था। वह करीब 14 दिन जेल में रहे और फिर जमानत पर रिहा हुए थे। बता दें कि इस मामले में सीबीआई ने करीब 2 सौ लोगों को गवाह बनाया है। केस में जांच एजेंसी ने चालान तो पेश कर दिया है लेकिन कानूनी अड़चनों की वजह से सुनवाई समय पर पूरी नहीं हो पा रही है।