भोपाल। सरकारी डॉक्टरों के बाद अब बॉन्ड भरने वाले डॉक्टरों के लिए भी सार्थक एप से उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा तीन माह के लिए जिला अस्पतालों में प्रशिक्षण के लिए आने वाले जूनियर डॉक्टरों के लिए भी इसे अनिवार्य करने की तैयारी है।(Bonded Doctors)
कई सालों से मिल रही थी शिकायत
दरअसल, कई सालों से यह शिकायत मिल रही थी कि कई बॉन्डे भरने वाले डॉक्टर जिले में सीएमएचओ से सांठगांठ कर अस्पताल नहीं जाते। इनकी पदस्थापना ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में की जाती है, इसलिए निगरानी भी नहीं हो पाती। इतना ही विभाग को इन डॉक्टरों के कभी-कभी ही अस्पताल आने की जानकारी मिल रही थी, इसलिए यह व्यवस्था लागू की है।(Bonded Doctors)
जाने से बचते हैं बॉन्डेड डॉक्टर
पीजी प्रवेश परीक्षा की तैयारी की वजह में बॉन्डेड डॉक्टर जाने से बचते हैं। यह व्यवस्था एमबीबीएस और पीजी डिग्रीधारी दोनों तरह के डॉक्टरों पर लागू की है। सार्थक में उपस्थिति नहीं दर्ज करने पर उन्हें कार्रवाई का नोटिस जारी किया जाएगा। सार्थक एप से उपस्थित दर्ज करने की व्यवस्था लागू होने के बाद वह मुख्यालय भी नहीं छोड़ पाएंगे।(Bonded Doctors)
बॉन्डेड डॉक्टरों के भरोसे रहते हैं सैकड़ों रोगी
एमबीबीएस डॉक्टरों को पीएचसी और सीएचसी में पदस्थ किया जाता है। लगभग 350 पीएचसी में रोगी बॉन्डेड डॉक्टरों के भरोसे ही रहते हैं। ऐसे में डॉक्टर नहीं रहने पर मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता। जबकि अन्य कर्मचारी भी बिना काम के रहते हैं।(Bonded Doctors)
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सिफारिश से मनचाही पदस्थापना
बॉन्डेड डॉक्टरों की पदस्थापना के लिए इस साल सॉफ्टवेयर बनाया था। इसमें डॉक्टरों को अपनी पसंद के 30 अस्पतालों का विकल्प चुनना था। उसके बाद एमबीबीएस में उनके अंकों के आधार पर मेरिट के मुताबिक पदस्थापना की जानी थी। उसके बाद सॉफ्टवेयर से उनके अंकों के आधार पर पदस्थापना भी हो गई। बाद में अधिकारियों ने 100 से अधिक डॉक्टरों का पदस्थापना आदेश बदलकर उनकी पसंद की जगह पर पदस्थ करने की सहमति दे दी। इन डॉक्टरों के संशोधित आदेश भी जारी कर दिए हैं।