भोपाल, प्रखर जैन | चुनावी साल में अब बीजेपी अपने कोर वोटर पर फोकस करते हुए नजर आ रही है।ऐसे में विधानसभा चुनाव की ही तरह एक बार फिर लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में एक बार फिर ज्ञानवापी के रूप में हिन्दुत्व का मुद्दा गूंजने लगा है। जहां एक तरफ बीजेपी चुनाव के ठीक पहले युवा और महिलाओं समेत आदिवासी और सभी वर्गों पर फोकस कर रही है वहीं ज्ञानवापी को मील का पत्थर बता रही है। राम मंदिर के मामले के बाद अब ज्ञानवापी पर सियासी रंग घुलता नज़र आ रहा है। MP में बीजेपी कोर वोटर को टारगेट कर रही है जिसमे ज्ञानवापी, मील का पत्थर साबित होगा। अयोध्या के बाद मथुरा–वृंदावन–बनारस की बारी है।

राम मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद बीजेपी का फोकस अब ज्ञानवापी पर है। लोकसभा चुनाव में अपने कोर वोटर को लुभाने और पार्टी से जोड़ने की कवायद में मध्यप्रदेश में भी ज्ञानवापी का मुद्दा गूंजेगा, ज्ञानवापी विवाद पर वाराणसी जिला अदालत के फैसले को बीजेपी मील का पत्थर बता रही है। लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी अपने कोर वोटर को साधने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के साथ ज्ञानवापी के फैसले को भी कर रही मोदी की गारंटी के साथ प्रचारित करने में जुटने जा रही है, ना केवल ज्ञानवापी बल्कि पार्टी अपनी पुरानी रणनीति पर ही चलते हुए समावेशी मुद्दों के साथ ही धर्म और आस्था के मोर्चे की भी धार तेज करने में लगी हुई है। ऐसे में राम मंदिर हो या फिर ज्ञानवापी या मथुरा कृष्ण जन्मभूमि का विवाद। कहीं ना कहीं इतिहास के पन्नों से बीजेपी आस्था से जुड़े सभी विषयों को लोकसभा में उठाते हुए नजर आएगी।
बीजेपी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर भी अगर नजर डाली जाए तो चाहे राम मंदिर हो या फिर ज्ञानवापी या फिर कृष्ण जन्मभूमि ये सभी मुद्दे बीजेपी के प्राइम फोकस पर अटल-आडवाणी के समय से ही बीजेपी की राजनीति का हिस्सा रहा है। चुनाव दर चुनाव बीजेपी को इसका परिणाम देखने को भी मिला है। ऐसे में अब जबकी बीजेपी अपने इतिहास के सबसे मजबूत दौर में है तब इन मुद्दों को पीछे छोड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता। हालांकि अब विपक्ष भी कुछ हद तक इन मुद्दों की व्यापकता को समझने लगी है। खासतौर पर मध्यप्रदेश जो की विपक्ष के लिए लगातार लोकसभा से लेकर विधानसभा तक बुरी खबर साबित हुआ है। ऐसे में विपक्ष भी अपनी पोज़िशनिंग खासकर मध्य प्रदेश में ठीक करने में जुटी हुई है और इस कवायद में अब धर्म और आस्था के मुद्दों में कमियाँ और खामियाँ बताने में जुटी है। लोकसभा चुनाव के लिए अब सियासी पार्टियों ने कदम ताल करना शुरू कर दी है। मुद्दों की बात हो या फिर पब्लिक पोज़िशनिंग की पार्टियां अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर चुकी है। ऐसे में अब चुनाव से पहले चुनाव के मुद्दे भी तय होते दिख रहे हैं। देशभर में घट रहे सियासी और गैर सियासी घटनाक्रमों को देखते हुए हिन्दुत्व राम मंदिर और ज्ञानवापी जैसे मुद्दे चुनावी साल में हावी होते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। बहरहाल हिंदुपक्ष तो 3 दशक बाद अपने इष्ट की व्यास तहखाने में एक बार फिर पूजा आराधना शुरू कर चुका है।