रतलाम। मध्यप्रदेश के रतलाम जिले का पुलिस प्रशासन अपने नवाचार को लेकर इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। चाहे वो शराब पीकर वाहन चलाने वालों की पहचान के लिए उन्हें चूने वाली लाइन पर बिना लड़खड़ाए चलवाना हो। या फिर बुलेट में तेज आवाज वाले साइलेंसर को जब्त कर उन पर बुलडोजर हो। इसके अलावा बीते दिनों उन्होंने जिले भर के पुलिस कर्मियों को उनके जन्मदिन पर विशेष अवकाश देने का ऐलान भी किया था। एसपी अमित कुमार के नेतृत्व में पुलिस प्रशासन ऐसे कार्य कर रहा है जिनकी सभी लोग प्रशंसा कर रहे हैं। (Ratlam News)
इसी क्रम में अब रतलाम के दीनदयाल नगर थाने में पुलिस प्रशासन द्वारा एक महिला आरक्षक की गोद भराई कार्यक्रम किया गया। मिली जानकारी के मुताबिक इस कार्यक्रम के लिए थाने को घर की तरह सजाया गया। थाने के सभी पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों ने पूरे कार्यक्रम को ऐसे किया जैसे वो महिला आरक्षक के परिवार वाले हों। (Ratlam News)
टीआई ने निभाया पिता का फर्ज
दरअसल, थाने में पदस्थ महिला आरक्षक शानू धार जिले के गंधवानी की रहने वाली है और उनका ससुराल मनावर का है। साल 2012 में उनके पिता का निधन हो गया था। उनके मायके पक्ष में केवल उनकी मां और भाई है। सास-ससुर दूर रहते हैं और पति मोहन धारवे रतलाम में ही यातायात थाने पर पदस्थ है। जावरा में ड्यूटी होने के वजह से वो कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए थे। परिवार की तरफ से केवल जेठ सुभाष धारवे कार्यक्रम में शामिल हुए।
पति और परिवार के अन्य सदस्यों की गैरमौजूदगी में डीडी नगर थाना प्रभारी रवींद्र दंडोतिया समेत थाने के पूरे स्टाफ ने कार्यक्रम को घर पर होने वाले कार्यक्रम की तरह धूमधाम से किया। इस दौरान थाना प्रभारी ने महिला आरक्षक के पिता की भूमिका निभाई।
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डीजे की धुन पर थिरके पुलिसकर्मी
कार्यक्रम में कई महिला पुलिसककर्मी भी परिवार के सदस्य के रूप में शामिल हुई और धूमधाम से सभी रस्में की। इसके साथ ही थाने के सभी पुलिसकर्मियों ने डीजे की धुन पर डांस करके अपनी खुशी भी जाहिर की। आरक्षक शानू के पिता नहीं हैं ऐसे में थाना प्रभारी दंडोतिया ने उनके पिता की भूमिका निभाई। इसके साथ ही अन्य पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों ने भी परिवार के सदस्यों की तरह सहयोग किया। थाना प्रभारी ने बताया कि पूरे स्टाफ ने उनके बारे में सोचा, बहुत खुशी हुई।
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षक के पिता नहीं है। परिवार के अन्य सदस्य दूर-दूर थे। वह छुट्टी पर भी जाने वाली हैं। वह यहां अकेली है, घर की कई जिम्मेदारियां भी रहती हैं। ऐसे में कैसे कार्यक्रम करेंगी। इस कारण विचार आया कि खुशी का पल है, सभी स्टाफ मिलकर कार्यक्रम करें। इससे उसे भी खुशी मिलेगी। इसके बाद पूरे स्टाफ ने मिलकर इस कार्यक्रम की योजना बनाई।
वहीं इस आयोजन पर महिला आरक्षक ने कहा कि परिवार के सदस्य दूर थे। पति भी ड्यूटी पर थे। टीआई सर ने पिता की तरह सारी रस्में निभाईं। बहुत खुशी हुई। आज तक थाने पर नहीं सुना था कि ऐसा होता है, लेकिन पूरे स्टाफ ने मेरे बारे में सोचा।