सिंगरौली, अनिल सिंह। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में एक ऐसा अनोखा स्कूल है जहां के बच्चे दोनों हाथों से अलग-अलग भाषाओं में लिख सकते हैं। एक भाषा नहीं बल्कि 6 भाषाओं को लिख देते हैं यह हम नहीं कह रहे यह आपके टीवी स्क्रीन पर चल रहा विडियो कह रहा है यह देश का पहला ऐसा स्कूल है जहां एक-दो नहीं बल्कि डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चे इस कला में महारथ रखते हैं। इस स्कूल का नाम है वीणावादिनी पब्लिक स्कूल। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित ये बाकी स्कूलों की तरह ही सामान्य दिखता है लेकिन यहां पढ़ रहे बच्चे एक ऐसी अनोखी कला जानते हैं जो शायद ही कोई जानता हो।
प्राचार्य विरांगत शर्मा बताते हैं कि नालंदा तक्षशिला विश्वविद्यालय में 32000 शब्दों को रोज पढ़ा लिखा जाता था उन्होंने एक पत्रिका के माध्यम से पढ़े तो उनके दिमाग में आया और वह प्रेरित होकर दोनों हाथ से लिखने का प्रयास शुरू कर दिए और 8/7/ 1999 को गांव में घर में ही स्कूल संचालित कर दिए फलदार वृक्ष के नीचे यह स्कूल संचालित होती है और स्कूल में प्रवेश लेने वाले बच्चों को नर्सरी से ही दोनों हाथ से लिखवाने का प्रयास करवाते हैं अभी इस विद्यालय में डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चे शिक्षा दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं जो दोनों हाथों से एक साथ में 6 भाषाओं का लेख लिख लेते हैं इतना ही नहीं कक्षा दो और तीन के छात्र-छात्राओं ने फर्राटेदार 100 तक पहाड़ा भी सुना देते हैं और संस्थापक का कहना है कि उनकी सोच यह है कि भारत देश नहीं बल्कि दुनिया में इन बच्चों का नाम होगा और यह दुनिया के सबसे बड़े साइंटिस्ट बनेंगे
विरगत शर्मा कहते हैं कि परीक्षा के दौरान बच्चों को तीन घंटे का समय मिलता है। लेकिन दोनों हाथ से लिखने के कारण बच्चे डेढ़ घंटे में ही अपना पेपर पूरा कर देते हैं। बच्चों को ना सिर्फ एक साथ दोनों हाथों से लिखना आता है बल्कि बच्चे एक हाथ से हिंदी और दूसरे हाथ से इंग्लिश भी लिख लेते हैं। यहां के बच्चे संस्कृत रोमन हिंदी इंग्लिश अरबी और उर्दू भी लिखते हैं, कुल मिलाकर बच्चों को 6 भाषाओं में पढ़ाई कराई जाती है। बच्चे इन भाषाओं को बहुत अच्छे से समझते हैं। आपको बता दें, सिंगरौली के वीणावादिनी पब्लिक स्कूल बुधेला की शुरुआत 1999 में की गई थी। उनका कहना है कि बच्चों को दोनों हाथों से लिखवाने की प्रेरणा देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से मिली थी। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अलावा दूर-दूर से भी बच्चे यह कला सीखने के लिए आते हैं।
जो शख्स दोनों हाथों से लिख सकता है उन्हें अंग्रेजी में AMBIDEXTROUS (एम्बी डेक्सटेरिटी ) और हिंदी में द्विहत्थी या उभयहस्त कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि दोनों हाथों से लिखने की कला दुनिया में महज एक फीसदी लोगों के पास ही है। यानी 100 में से कोई एक शख्स ही ऐसा कर पाता है। ये कई तरीके से हो सकता है। कहा जाता है कि कई सारे एम्बी डेक्सटेरिटी पहले लेफ्टी होते हैं लेकिन धीरे-धीरे वे दोनों हाथों से लिखने लगते हैं। लियोनार्डो द विंची, बेन फ्रैंकलिन और अल्बर्ट आइंस्टीन ऐसे प्रसिद्ध शख्स रहे हैं जो दोनों हाथों से लिखते थे।