भोपाल, डिजिटल डेस्क। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च को मनाया जा रहा हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव अपने हर उपासक की मनोकामना पूरी करते हैं। लोग इस दिन व्रत करके शिवजी को प्रसन्न करते हैं। वैसे तो देश में भगवान शिव के विशाल और अति प्राचीन मंदिर भी हैं, लेकिन यहां हम आपको एमपी के 10 बड़े मंदिरों के बारे में बताने जो अपने आप में खास तो हैं ही साथ ही अपनी कहानियां भी खुद ही बयां करते हैं—
1- उज्जैन महाकाल मंदिर ( Ujjain Mahakal Temple ) – मध्य प्रदेश का महाकालेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, कहा जाता है कि बाबा महाकाल के दर्शन मात्र से ही सभी दु:ख दूर हो जाते हैं। यहां हर 12 साल में कुंभ मेले का भी आयोजन किया जाता है। कालों के काल बाबा महाकाल के इस मंदिर के दर्शन करने दूर-दूर से हर साल लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं।
2- कंदरिया महादेव मंदिर, खजुराहो ( Kandariya Mahadeva Temple ) कन्दारिया महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण करीब 1025-1050 ईस्वी में चन्देल वंश के राजा विद्याधर द्वारा करवाया गया था। इस प्रसिद्ध मंदिर को कई लोग चतुर्भुज मंदिर के नाम से भी जानते हैं और यह पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित है। साल 1986 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में शामिल कर लिया गया था। वहां के प्रमुख मंदिरों में से एक कंदरिया महादेव मंदिर को गंडदेव के पुत्र सम्राट विद्याधर ने बनवाया था।
3 – गुप्तेश्वर महादेव मंदिर, जबलपुर (Gupteshwar Temple Jabalpur) – श्री गुप्तेश्वर महादेव मंदिर मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित है। नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, ऐसा माना जाता है कि नर्मदा की हर चट्टान शिव है। यहां स्थित शिवलिंग भगवान राम ने वनवास के समय नर्मदा तट पर त्रिपुरी तीर्थ में अपने गुप्त प्रवास के दौरान रेत से बनाया था।
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4 -ओंकारेश्वर मंदिर, ओंकारेश्वर ( omkareshwar jyotirlinga )— यह मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा के अनुसार यहां राजा मांधाता ने इसी पर्वत पर कठोर तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया था। परिणाम स्वरूप राजा मंधाता के कहने पर भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान हो गए, तब से ये पर्वत मंधाता पर्वत कहलाने लगा। कुबेर देव ने भी यहां शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था। यह एकमात्र मंदिर है जो नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है। यहां पर भगवान शिव नदी के दोनो तट पर स्थित हैं। महादेव को यहां पर ममलेश्वर व अमलेश्वर के रूप में पूजा जाता है।
5- ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, ओंकारेश्वर- (Mamleshwar Jyotirling) ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा के दक्षिण तट पर ओंकारेश्वर से थोड़ी दूर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना के पीछे भी एक कथा है जिसका वर्णन हम यहां कर रहे हैं। वैसे तो इसकी स्थापना के लिए कथाएं प्रचलित हैं लेकिन यहां हम आपको ऋषि नारद मुनि की कथा सुना रहे हैं। ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का सही नाम अमरेश्वर मंदिर है। यह मंदिर भी पञ्च मंजिला मंदिर है हर मंजिल पर शिवालय है। इस मंदिर प्रांगण में छह मंदिर और भी हैं। पत्थर के बेहतरीन काम वाला यह मंदिर अब पुरातत्व के अधीन है।
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6- श्री पशुपतिनाथ मंदिर, मंदसौर ( Pashupatinath Mahadev Temple)- मंदिर में भगवान शिव की एक पांच मुंह वाली मूर्ति है। पशुपतिनाथ विग्रह में चारों दिशाओं में एक मुख और एकमुख ऊपर की ओर है। प्रत्येक मुख के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल मौजूद है। मान्यता अनुसार पशुपतिनाथ मंदिर का ज्योतिर्लिंग पारस पत्थर के समान है।
7- मतंगेश्वर मंदिर, खजुराहो ( Matangeshwar Mahadev Temple)- मतंगेश्वर मंदिर के बारे में कहा जाता की इस मंदिर के शिवलिंग जाता है कि यह हर वर्ष बढ़ता है शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 2.5 मीटर और इसका व्यास 1.1 मीटर है। मान्यता हैं की यह शिवलिंग नीचे पाताल लोक की ओर और ऊपर स्वर्गलोक की ओर बढ़ रहा है। और जैसे ही यह पाताललोक तक पहुंचेगा तब कलयुग का अंत हो जाएगा मतंगेश्वर
8 – भोजपुर मंदिर, भोजपुर (Bhojpur Temple)— भगवान शिव को समर्पित, भोजपुर मंदिर मध्य प्रदेश के भोजपुर शहर में स्थित है। इसे लेकर कहा जाता है कि यह अधूरा है। साथ ही इसमें स्थित शिवलिंग को दुनिया के सबसे बड़े में से एक माना जाता है। 11वीं शताब्दी के दौरान निर्मित यह मंदिर उत्कृष्ट नक्काशी और जटिल वास्तुकला का उदाहरण है।
9 – बैजनाथ मंदिर, भोपाल (Baijnath Temple) — बैजनाथ मंदिर मध्य प्रदेश में एक शिव अभयारण्य है। हिंदू और मुस्लिम स्थापत्य शैली के अनूठे मिश्रण के लिए प्रसिद्ध भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर 12वीं शताब्दी का है।
10-पचमढ़ी का चौरागढ़ महादेव मंदिर (pachmarhi mahadev)— पचमढ़ी में चौरागढ़ सतपुड़ा की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है, धूपगढ़ सतपुड़ा रेंज का सबसे ऊंचा स्थान है। चौरागढ़ की चोटी पर भगवान शिव मंदिर का अद्भूत मंदिर है। मंदिर के सामने शिखर के शीर्ष पर लगभग दो लाख त्रिशूल हैं, जो भक्तों द्वारा भगवान शिव को अर्पित किए गए हैं। इस क्षेत्र में अनेक शिव मंदिर और प्रसिद्ध गुफाएं हैं। जिनमें भगवान शिव का निवास है।